मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013

tribhangi chhand - sanjiv

​त्रिभंगी सलिला:
हम हैं अभियंता
संजीव
*
(छंद विधान: १० ८ ८ ६ = ३२  x ४)
*
हम हैं अभियंता नीति नियंता, अपना देश सँवारेंगे
हर संकट हर हर मंज़िल वरकर, सबका भाग्य निखारेंगे
पथ की बाधाएँ दूर हटाएँ, खुद को सब पर वारेंगे
भारत माँ पावन जन मन भावन, सीकर चरण पखारेंगे
*
अभियंता मिलकर आगे चलकर, पथ दिखलायें जग देखे
कंकर को शंकर कर दें हँसकर मंज़िल पाएं कर लेखे
शशि-मंगल छूलें, धरा न भूलें, दर्द दीन का हरना है
आँसू न बहायें , जन-गण गाये, पंथ वही तो वरना है
*
श्रम-स्वेद बहाकर, लगन लगाकर, स्वप्न सभी साकार करें
गणना कर परखें, पुनि-पुनि निरखें, त्रुटि न तनिक भी कहीं वरें
उपकरण जुटायें, यंत्र बनायें, नव तकनीक चुनें न रुकें
आधुनिक प्रविधियाँ, मनहर छवियाँ,  उन्नत देश करें न चुकें
*
नव कथा लिखेंगे, पग न थकेंगे, हाथ करेंगे काम काम सदा
किस्मत बदलेंगे, नभ छू लेंगे, पर न कहेंगे 'यही बदा'
प्रभु भू पर आयें, हाथ बटायें, अभियंता संग-साथ रहें
श्रम की जयगाथा, उन्नत माथा, सत नारायण कथा कहें
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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facebook: sahiyta salila / sanjiv verma
​​
'salil'

1 टिप्पणी:

  1. sn Sharma द्वारा yahoogroups.comबुधवार, अक्टूबर 30, 2013 10:19:00 pm

    sn Sharma द्वारा yahoogroups.com

    " श्रम-स्वेद बहाकर, लगन लगाकर, स्वप्न सभी साकार करें
    गणना कर परखें, पुनि-पुनि निरखें, त्रुटि न तनिक भी कहीं वरें"
    सुन्दरतम रचना त्रिभंगी लय में । आपक़ी लेखनी को पुनः नमन ।
    अंतिम पद में ' काम ' शब्द शायद दुहरा गया है ।
    सादर
    कमल

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