शनिवार, 8 जून 2013

bundeli muktika: sanjiv

बुन्देली मुक्तिका:
हमाये पास का है?...
 संजीव
*
हमाये पास का है जो तुमैं दें?
तुमाये हात रीते तुमसें का लें?
आन गिरवी बिदेसी बैंक मां है
चोर नेता भये जम्हूरियत में।।
रेत मां खे रए हैं नाव अपनी
तोड़ परवार अपने हात ही सें।।
करें गलती न मानें दोष फिर भी
जेल भेजत नें कोरट अफसरन खें।।
भौत है दूर दिल्ली जानते पै
हारियो नें 'सलिल मत बोलियों टें।।
***

2 टिप्‍पणियां:

  1. Kusum Vir via yahoogroups.com

    बहुत ही सामयिक, सटीक और मनमोहक बुन्देली मुक्तिका आचार्य जी l
    सराहना सहित,
    सादर,
    कुसुम वीर

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  2. Shishir Sarabhai

    बहुत खूब, बहुत खूब, बहुत खूब,

    शिशिर

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