बुन्देली मुक्तिका
संजीव
*
मन खों रखियो हर दम बस में.
पानी बहै न रस में, नस में.
कसर न करियो स्रम करबे में.
खा खें तोड़ न दइयो कसमें.
जी से मिलबे खों जी तरसे
जी भर जी सें करियो रसमें.
गरदिस में जो संग निभाएं
संग उनई खों धरियों जस में.
कहूँ न ऐसो मजा मिलैगो
जैसो मजा मिलै बतरस में.
=================
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot. in
संजीव
*
मन खों रखियो हर दम बस में.
पानी बहै न रस में, नस में.
कसर न करियो स्रम करबे में.
खा खें तोड़ न दइयो कसमें.
जी से मिलबे खों जी तरसे
जी भर जी सें करियो रसमें.
गरदिस में जो संग निभाएं
संग उनई खों धरियों जस में.
कहूँ न ऐसो मजा मिलैगो
जैसो मजा मिलै बतरस में.
=================
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
संजीव भाई ये मुक्तिकाएँ तो मैं समझ गई | कहीं ग़लत भी हो सकती हूँ | अच्छी लगीं | लिखते रहिए| दिद्दा
जवाब देंहटाएंpran sharma via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंSALIL BHAI KEE KYAA BAAT HAI ! GYAAN KE SAAGAR HAI .
PRAN SHARMA
pran sharma via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंSALIL BHAI KEE KYAA BAAT HAI ! GYAAN KE SAAGAR HAI .
PRAN SHARMA
indira sharma via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई ,बड़े दुःख से कह रही हूँकि यद्यपि सागर में मैंने लगभग जीवन के ४० वर्ष गुजारे हैं पर बुन्देलखंडी मुझे बिलकुल नहीं आती , बस उतनी ही जितनी से काम चलाया जा सके ,यूनिवर्सिटी कैम्पस में ही जीवन बीता जहां हिंदी इंग्लिश और उर्दू मिश्रित हिंदी क़ा ही माहौल मिला | मेरा अपना महिलाओं का कोई सर्किल नहीं था अत: उनसे भी कुछ सीख नही पाई | मेरी एक मित्र ने बुन्देली शब्द कोष पर काम किया है , अगर उससे कोई कांटेक्ट हो सका तो आपको सूचित करूँगी| सागर शहर से लगभग अपरिचित ही हूँ | मैं हिंदी के एक प्रोफेसर का पता आप को लिख दूंगी आप मिसिज प्रताप चन्द्र के नाम का सन्दर्भ दे कर उनसे कांटेक्ट कर सकते है ,मेरे छोटे भाई जैसे हैं | आपकी सहायता अवश्य करेंगे ऐसी मुझे उम्मीद है | दिद्दा
deepti gupta via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसंजीव जी ,
खा खें तोड़ न दइयो कसमें....
...लोकभाषा की इस मिठास के क्या कहने!
गरदिस में जो संग निभाएं
.........बहुत सही
संग उनई खों धरियों जस में..........
..............खूब
कहूँ न ऐसो मजा मिलैगो
जैसो मजा मिलै बतरस में.....
.....बतरस लालच सर्वोपरि
ढेर साधुवाद.
दीप्ति .