अंगिका दोहा मुक्तिका
संजीव
*
काल बुलैले केकर, होतै कौन हलाल?
मौन अराधें दैव कै, एतै प्रातःकाल..
*
मौज मनैतै रात-दिन, हो लै की कंगाल.
संग न आवै छाँह भी, आगे कौन हवाल?
*
एक-एक कै खींचतै, बाल- पकड़ लै खाल.
नींन नै आवै रात भर, पलकें करैं सवाल..
*
कौन हमर रच्छा करै, मन में 'सलिल' मलाल.
केकरा से बिनती करभ, सब्भै हवै दलाल..
*
धूल झौंक दैं आँख में, कज्जर लेंय निकाल.
जनहित कै नाक रचैं, नेता निगलैं माल..
*
मत शंका कै नजर सें, देख न मचा बवाल.
गुप-चुप हींसा बाँट लै, 'सलिल' बजा नैं गाल..
*
ओकर कोय जवाब नै, जेकर सही सवाल.
लै-दै कै मूँ बंद कर, ठंडा होय उबाल..
===
टीप: अंगिका से अधिक परिचय न होने प् भी प्रयास किया है. जानकार बंधु त्रुटि इंगित करें तो सुधार सकूँगा.
संजीव
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काल बुलैले केकर, होतै कौन हलाल?
मौन अराधें दैव कै, एतै प्रातःकाल..
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मौज मनैतै रात-दिन, हो लै की कंगाल.
संग न आवै छाँह भी, आगे कौन हवाल?
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एक-एक कै खींचतै, बाल- पकड़ लै खाल.
नींन नै आवै रात भर, पलकें करैं सवाल..
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कौन हमर रच्छा करै, मन में 'सलिल' मलाल.
केकरा से बिनती करभ, सब्भै हवै दलाल..
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धूल झौंक दैं आँख में, कज्जर लेंय निकाल.
जनहित कै नाक रचैं, नेता निगलैं माल..
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मत शंका कै नजर सें, देख न मचा बवाल.
गुप-चुप हींसा बाँट लै, 'सलिल' बजा नैं गाल..
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ओकर कोय जवाब नै, जेकर सही सवाल.
लै-दै कै मूँ बंद कर, ठंडा होय उबाल..
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टीप: अंगिका से अधिक परिचय न होने प् भी प्रयास किया है. जानकार बंधु त्रुटि इंगित करें तो सुधार सकूँगा.
Kumar Gaurav Ajeetendu
जवाब देंहटाएंकिननी भाषाएं जानते हैं आप आचार्य। वाह मैं तो आपके भाषाज्ञान पर अभिभूत हूँ। मैं तो बिहार का होकर भी अंगिका नहीं जानता।
apne desh aur iskee bhashaon ke kinare seepee been raha hoon abhee tak. kash kuchh seekh sakoon.
जवाब देंहटाएंबजरंग दल गोपालगंज
जवाब देंहटाएंvermaji. . .sounds like bhojpuri
that's true. angika, bajjika, maithilee, bhojpuri, avadhi and brij have some similarity with each other.
जवाब देंहटाएंबजरंग दल गोपालगंज angika speakers r mainly frm araria, madhepura side na?
जवाब देंहटाएंVijay Prabhat Proutist
जवाब देंहटाएंBahut sundar..
but angika is nt yet famous n recognisd like maithil. . .
जवाब देंहटाएंJanardan Panday
जवाब देंहटाएंfirst time I am hearing abt angika and bajjika.Nice poem salil jee badhai
आप ठीक कह रहे हैं अंगिका अन्य बोलोयों की तरह प्रसिद्ध नहीं है. यदि बार-बार बहुत से लोग उपयोग करें तो उन्नति करेगी. अंग्रेजी के मोहा में पढ़ा-लिखा वर्ग पुराणी बोलियों को भूल रहा है.
जवाब देंहटाएंSandeep Nimana
जवाब देंहटाएंsir,
iska matlab to batao
yah to hindi se milti-julti hai. kis pankti ka arth samajh men naheen aya kahen to btla doon .
जवाब देंहटाएंबजरंग दल गोपालगंज sanjiv ji ad me. .mai thoda prayas karunga angika k liye. . .pakka!
जवाब देंहटाएंavashya. bihar sarkar yadi anudaan de to angika aur bhojpuri men poore desh ke rachnakaron se likhwa kar rashtreey kavitaon ka sangrah nikalva kar sabhee vidyalayon men rakha jae.
जवाब देंहटाएंKishor Agrawal
जवाब देंहटाएंMaine pahli bar chkhi hai, achchhi cheej hai
apko pasand aaee to mera shram sarthak huaa. aagee aur bhee boliyon men rachnayen dene ka prayas hoga.
जवाब देंहटाएंKusum Vir via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
बहुत ही सामयिक, सटीक, सशक्त और सुन्दर अंगिका दोहा मुक्तिका l
मन को बहुत ही भाया l
सादर,
कुसुम वीर
Mahesh Dewedy via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंDohe padhne me achhe lage. Angika ka gyan mujhe bhi nahin hai. Badhai.
Mahesh Chandra Dwivedy
धन्यवाद. अंगेरजी के बढ़ते दुष्प्रभाव ने युवा पीढ़ी को कई भाषा रूपों से काट दिया है, इससे उनका शब्द-भण्डार, लोकोक्तियाँ, कहावतें आदि नष्ट होने से हिंदी की हनी हो रही है. अतः, उन्हें जितना संभव हो लिखा-पढ़ा जाए तो हिंदी समृद्ध होगी- इस सोच से विविध बोलिऑं में रचना-कर्म का प्रयास है.
जवाब देंहटाएंडॉ. सरोज गुप्ता
जवाब देंहटाएंधूल झौंक दैं आँख में, कज्जर लेंय निकाल.
जनहित कै नाक रचैं, नेता निगलैं माल...............................सलिल जी बहुत सटीक .............अभी व्यस्तता बढी हुयी है इ
Xitija Singh
जवाब देंहटाएंhar doha shandaar hai sanjiv ji ... sanjha karne ke liye dhanywaad ..
Santosh Bhauwala via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजीव जी ,
आप और आपके दोहों को नमन ,!!
संतोष भाऊवाला
Madhu Gupta via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंनींन नै आवै रात भर, पलकें करैं सवाल.
. बहुत सुन्दर स्नाजीव जी , आपकी सराहना करना बेमानी हो जला है आप तो सदैव ही , कुछ अनूठा लिखते है
मधु
मधु में सबको सर्वदा, मिलती रही मिठास।
जवाब देंहटाएंमहज इसलिये क्यों कहें, बेमानी मधुरास।।
deepti gupta via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंवाह ...........वाह................वाह !
संजीव जी की लेखनी को नमन !