रविवार, 17 मार्च 2013

गीति रचना: पाती लिखी संजीव 'सलिल'

गीति रचना:
पाती लिखी
संजीव 'सलिल'
*
पाती लिखी तुम्हारे नाम...
*
गीत, गजल, कविताएँ, छंद,
अनगिन रचे मिला आनंद.
क्षणभंगुर अनुभूति रही,
स्थिर नहीं प्रतीति रही.
वाह, वाह की चाह छले
डाह-आह भी व्यर्थ पले.
कैसे मिलता कभी सुनाम?
पाती लिखी तुम्हारे नाम...
*
नाम हुए बदनाम सभी,
और हुए गुमनाम कभी.
बिगड़े, बनते काम रहे,
गिरते-बढ़ते दाम रहे.
धूप-छाँव के पाँव थके,
लेकिन तनिक न गाँव रुके.
ठाँव दाँव के मेटो राम!
पाती लिखी तुम्हारे नाम...
*
सत्य-शील का अंत समीप,
घायल संयम की हर सीप.
मोती-शंख न शेष रहे,
सिकता अश्रु अशेष बहे.
मिटे किनारे सूखी धार,
पायें न नयना नीर उधार.
नत मस्तक कर हुए अनाम
पाती लिखी तुम्हारे नाम...
*
लिखता कम, समझो ज्यादा,
राजा बना मूढ़ प्यादा.
टेढ़ा-टेढ़ा चलता है
दाल वक्ष पर दलता है.
दु:शासन नित चीर हरे
सेवक सत्ता-खेत चरे.
मन सस्ता मँहगा है चाम
पाती लिखी तुम्हारे नाम...
*

4 टिप्‍पणियां:

  1. sn Sharma द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आ० आचार्य जी ,
    मुक्तिका ' पाती लिखी तुम्हारे नाम ' आज के परिवेश पर
    अनूठी रचना है । ढेर सराहना के साथ विशेष प्रभावी पंक्तिया -

    सत्य-शील का अंत समीप,
    घायल संयम की हर सीप.
    मोती-शंख न शेष रहे,
    सिकता अश्रु अशेष बहे.
    मिटे किनारे सूखी धार,
    पायें न नयना नीर उधार.
    नत मस्तक कर हुए अनाम
    पाती लिखी तुम्हारे नाम...

    सादर
    कमल

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  2. Indira Pratap द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara



    संजीव भाई दादा की पति तो समझ आई , आपने किसको लिखी जरा खुलासा तो कीजिए , इस समय जरा शरारत के मूड में हूँ | होली है भई होली है | क्षमा याचना के साथ --- दिद्दा

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  3. deepti gupta द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    हम भी दिद्दा के साथ हैं और वही सवाल कर रहे हैं ! कविता बेहतरीन है !

    सराहना के साथ,
    दीप्ति

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  4. पढ़े जो पाती उसी के नाम थी वह।
    सर झुका अर्पित किया प्रणाम थी वह।।

    सेतु दिल से दिलों तक जोड़ा-बनाया
    कर उठा कर ने किया सलाम थी वह।।

    आपके दिल ने किया स्वीकार हंसकर
    फागुनी फगुनाई अमित-अनाम थी वह।।

    दीप्ति-दिद्दा मिल सलिल में हुईं बिम्बित
    कमल शतदल सा विमल कलाम थी वह।।

    लिखी जिसको गयी उत्तर दिया उसने
    मेघदूती प्रथा का परिणाम थी वह।।

    Sanjiv verma 'Salil'
    salil.sanjiv@gmail.com
    http://divyanarmada.blogspot.in

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