दोहा सलिला:
दीवाली के संग : दोहा का रंग
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सरहद पर दे कटा सर, हद अरि करे न पार.
राष्ट्र-दीप पर हो 'सलिल', प्राण-दीप बलिहार..
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आपद-विपदाग्रस्त को, 'सलिल' न जाना भूल.
दो दीपक रख आ वहाँ, ले अँजुरी भर फूल..
*
कुटिया में पाया जनम, राजमहल में मौत.
रपट न थाने में हुई, ज्योति हुई क्यों फौत??
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तन माटी का दीप है, बाती चलती श्वास.
आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस..
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दीप जला, जय बोलना, दुनिया का दस्तूर.
दीप बुझा, चुप फेंकना, कर्म क्रूर-अक्रूर..
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चलते रहना ही सफर, रुकना काम-अकाम.
जलते रहना ज़िंदगी, बुझना पूर्ण विराम.
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सूरज की किरणें करें नवजीवन संचार.
दीपक की किरणें करें, धरती का सिंगार..
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मन देहरी ने वर लिये, जगमग दोहा-दीप.
तन ड्योढ़ी पर धर दिये, गुपचुप आँगन लीप..
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करे प्रार्थना, वंदना, प्रेयर, सबद, अजान.
रसनिधि है रसलीन या, दीपक है रसखान..
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मन देहरी ने वर लिये, जगमग दोहा-दीप.
तन ड्योढ़ी पर धर दिये, गुपचुप आँगन लीप..
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करे प्रार्थना, वंदना, प्रेयर, सबद, अजान.
रसनिधि है रसलीन या, दीपक है रसखान..
मन्दिर-मस्जिद, राह-घर, या मचान-खलिहान.
दीपक फर्क न जानता, ज्योतित करे जहान..
*
मद्यप परवाना नहीं, समझ सका यह बात.
साक़ी लौ ले उजाला, लाई मरण-सौगात..
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यह तन माटी का दिया, भर दे तेल-प्रयास।
'सलिल' प्राण-बाती जला, दस दिश धवल उजास ।।
ज्योति पर्व पर अनंत-अशेष शुभ कामनाएं
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salils.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
http://hindihindi.in.

सलिल जी नमस्कार ।
जवाब देंहटाएंआपके किस -किस विचार की प्रशंशा करूँ , सब ही अपनी जगह वज़न रखते हैं ,
फिर भी इसे स्वीकार करिये :
आपद-विपदाग्रस्त को, 'सलिल' न जाना भूल.
दो दीपक रख आ वहाँ, ले अँजुरी भर फूल..
डॉ ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ
अमेरिका
bodhisatva kastooriya
जवाब देंहटाएंदीपावलि पर दोहों की श्रंखला जब स्खलित हो !
’सलिल’ की सतत साधना दीप सी प्रज्ज्वलित हो!!
Mamta Sharma @yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंso near to life and so real.
thank you .
Dr.M.C. Gupta @ yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंHindienglishpo., echitranshchar., Ecolsen2003, echintan-subsc., editor, NewsWing, editor, editor, eepwd1chhind, eepwdchhind, Shambhu, eklkbk, Umesh, ekta.tiwari, MAI, Eliete, Shyam, eleshshah, Design, engineerbrijes., Institution, Alok, CHIEF, YASMIN, Saurabh
सलिल जी,
अनुपम दोहे हैं, विशेषत: ये--
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सरहद पर दे कटा सर, हद अरि करे न पार.
राष्ट्र-दीप पर हो 'सलिल', प्राण-दीप बलिहार..
*
दीप जला, जय बोलना, दुनिया का दस्तूर.
दीप बुझा, चुप फेंकना, कर्म क्रूर-अक्रूर..
*
चलते रहना ही सफर, रुकना काम-अकाम.
जलते रहना ज़िंदगी, बुझना पूर्ण विराम.
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--ख़लिश
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मधु गुप्ता
जवाब देंहटाएंआ. संजीव जी
जानें कितना शेष रह गया इस दिये में तेल ,
तन माटी का,
मन पानी सा ,
जानें किस दिन , गल जाएगा
तेल के रहते बुझ जाएगा
निराश मन की ज्योत जगाने आज दीपावली है आई
दीपों की अवली है करती
स्मित हास -----रेलपेल
आपके दोहे बड़े मन भाए
शुभ कामनायों सहित
मधु
- madhuvmsd@gmail.com
kamlesh kumar diwan
जवाब देंहटाएंsanjeev ji doha salila mai bahut sundar sandesh hai aapko bahut bahut badhai ,shubhkamnayen
Mahendra Raipur Subject: शुभ दीपावली
जवाब देंहटाएंई टी वी परिवार की और से आपको और आप के परिवार को दीपावली की हार्दिक हार्दिक बधाई ..
आप सभी अपने जीवन के नये नये मुकाम तक पहुचे आप सभी के जीवन में माता लक्ष्मी जी की सदा कृपा बनी रहें आप सभी के जीवन से दुख का अधेरा दूर हो और सुखों की रोशनी आप पर सदा बरसती रहें ।
महेन्द्र कुमार अनुरागी
ई टी वी न्यूज
ऱायपुर (छत्तीसगढ़)
09302939314
sn Sharma
जवाब देंहटाएंआ0 आचार्य जी,
हर दोहा सामयिक और दिल में घर करता हुआ ।
आपकी लेखनी को नमन। विशेष-
तन माटी का दीप है, बाती चलती श्वास.
आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस
इस ज्योति पर्व पर आपको सपरिवार सुख समृद्धि आरोग्य की मंगल कामना के साथ -
सादर
कमल
vijay
जवाब देंहटाएंतन माटी का दीप है, बाती चलती श्वास.
आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस..
दोहे अच्छे लगे !
विजय निकोर
Indira Pratap
जवाब देंहटाएंthankyou for sending dohas and deepawali greetings happy deepawali
Devi Nangrani
जवाब देंहटाएंAdarneey Salil ji
dohon se noor chhalak raha hai....
जलाकर श्रधा प्रेम विश्वास के दीप
उजालों से जीवन को रौशन करो तुम !!
देवी नागरानी 2012
Happy Diwalee to you and Fa,mily
- indogenius@gmail.com
जवाब देंहटाएंजगमग रात काली: दिवाली
एक ज्योत निराली: दिवाली
जीती हुई बाज़ी : दिवाली
पूरी मीठी वाली: दिवाली
खील बताशे प्याली: दिवाली
अक्षत, हल्दी, लाली: दिवाली
बचपन की याद आली: दिवाली
जवानी की जिद वाली: दिवाली
बूढी हंसी सी पोपली: दिवाली!
आली रे आली!
मतवाली, दिलवाली, जगमगाती:
दियेवाली, दिवाली, दीपावली!!
--
Regards,
Sanjay
Pranava Bharti @ yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंधन,समृद्धि चैन,सुखों की सुंदर बन्दनवार,
दीपों की जगमग ज्योति ले, आया है त्यौहार।
दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
धुंध के,धूल के जाले तो हटाकर देखें,
स्नेह के दीप हरेक मन में जलाकर देखें ।
अँधेरे दूर हों और सबके मन बनें रौशन,
प्रीत के, गीत के घुघरू तो बजाकर देखें।। ---आमीन !
सादर ,सस्नेह
प्रणव भारती
- madhuvmsd@gmail.com
जवाब देंहटाएंप्रिय प्रणव
धुंध के जालेवाला भाव बहुत सुन्दर है,
ईश्वर आपको इसी प्रकार सृजनता की क्षमता दे
और प्रत्येक दीपावली, इसी प्रकार हमें शुभसन्देश देती रहे,परिवार में सुखः रहे, मनों में शान्ति,
तन सदा स्वस्थ रहे, बिखरी रहे दीपों की कान्ति
मधु
मधु
प्रिय प्रणव ,
जवाब देंहटाएंतुम्हें सपरिवार दीपावाली की अशेष मंगल कामनाएं
प्रीती के गीत नित गुनगुनाती रहो
की ज्योति सी जगमगाती रहो
स्नेह की गंध बन मन समाती रहो
हँसती रहो सदा हँसाती रहो
दादा
Rakesh Khandelwal
जवाब देंहटाएंमान्यवर
सादर नमन स्वीकारें इन विशेष पंक्तियों के लिये साधुवाद
करे प्रार्थना, वंदना, प्रेयर, सबद, अजान.
रसनिधि है रसलीन या, दीपक है रसखान..
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मन्दिर-मस्जिद, राह-घर, या मचान-खलिहान.
दीपक फर्क न जानता, ज्योतित करे जहान..
सादर
राकेश
राकेश जी!
जवाब देंहटाएंआपसे प्राप्त सराहना ही इस दीवाली का उपहार है। आभार।
Dr.Jenny shabnam
जवाब देंहटाएंदीपावली के सभी दोहा बहुत खूबसूरत और सारगर्भित है. बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.
apka abhar shat-shat
जवाब देंहटाएंशबनम से मिलकर गले, शब नम थी चुपचाप।
'सलिल' देखकर हँस पड़ा, मिला आप से आप।।