कजरी गीत:
गौरा वंदना
संजीव 'सलिल'
*
गौरा! गौरा!! मनुआ मानत नाहीं, दरसन दै दो रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! तुम बिन सूना है घर, मत तरसाओ रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! बिछ गये पलक पाँवड़े, चरण बढ़ाओ रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! पीढ़ा-आसन सज गए, आओ बिराजो रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! पूजन-पाठ न जानूं, भगति-भाव दो रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! कुल-सुहाग की बिपदा, पल में टारो रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! धरती माँ की कैयाँ हरी-भरी हो रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! लोभ-द्वेष महिषासुर, मार भगाओ रे गौरा!
*
गौरा! गौरा!! पान-फूल स्वीकारो, भव से तारो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! मनुआ मानत नाहीं, दरसन दै दो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! तुम बिन सूना है घर, मत तरसाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! बिछ गये पलक पाँवड़े, चरण बढ़ाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पीढ़ा-आसन सज गए, आओ बिराजो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पूजन-पाठ न जानूं, भगति-भाव दो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! कुल-सुहाग की बिपदा, पल में टारो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! धरती माँ की कैयाँ हरी-भरी हो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! लोभ-द्वेष महिषासुर, मार भगाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पान-फूल स्वीकारो, भव से तारो रे गौरा!
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Lalit Walia ekavita
जवाब देंहटाएंआ संजीव जी ..,
पढने व गुनगुनाने का आकर्षण धारण किये इस वंदना-रचना के लिए आप भी वन्दनीय हैं । सराहना स्वीकार करें ..
~ 'आतिश
सलिल की सार्थकता तो गौरा के पग-प्रक्षालन में ही है। और गौरा के भक्त दोनों ही सलिल के लिए वन्दनीय हैं।
जवाब देंहटाएंPRAN SHARMA द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
सलिल जी,
आपके कजरी गीत(गौरा वंदना)से आनंदित हो गया हूँ.
प्राण शर्मा
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
अप्रतिम .....! अनुपम.....!
सादर,
दीप्ति
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
आ0 आचार्य जी ,
इतने सुन्दर सामयिक कजरी गीत के लिए आपको साधुवाद ।
ऐसे गीत समूह की काव्य-यात्रा में पाठक को तरंगित कर देते हैं ।
सदर कमल
- murarkasampatdevii@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर आ. सलील जी.
सादर
संपत
- shishirsarabhai@yahoo.com
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया आपकी कजरी पढ़ कर , संजीव भाई.
अनन्य सराहना स्वीकारें,
सादर,'
शिशिर
Kanu Vankoti kavyadhara
जवाब देंहटाएंनिसंदेह बहुत मनहर , संजीव भाई
सादर,
कनु
kusum sinha, ekavita
जवाब देंहटाएंpriy sanjeev ji
aap[ki vidwath ko mera sat sat naman aap to har vidha me vaise hi bejod likhte hain bhagwan kare aap sada swasth rahen aur khub likhen
kusum