दोहा सलिला:
शिक्षक पारसमणि सदृश...


संजीव 'सलिल
*
शिक्षक पारसमणि सदृश, करे लौह को स्वर्ण.
दूर करे अज्ञानता, उगा बीज से पर्ण..


सत-शिव-सुंदर साध्य है, साधन शिक्षा-ज्ञान.
सत-चित-आनंद दे हमें, शिक्षक गुण-रस-खान..


शिक्षक शिक्षा दे सदा, पाये शिष्य निखार.
कंकर को शंकर बना, जीवन सके संवार..


शिक्षक वह जो सिखा दे, भाषा गुण विज्ञान.
नेह निनादित नर्मदा, बहे बना गुणवान..


प्रतिभा को पहचानकर, जो दिखलाता राह.
शिक्षक उसको जानिए, जिसमें धैर्य अथाह..


जान-समझ जो विषय को, रखे पूर्ण अधिकार.
उस शिक्षक का प्राप्य है, शत शिष्यों का प्यार..


शिक्षक हो संदीपनी, शिष्य सुदामा-श्याम.
बना सकें जो धरा को, तीरथ वसुधा धाम..


विश्वामित्र-वशिष्ठ हों, शिक्षक ज्ञान-निधान.
राम-लखन से शिष्य हों, तब ही महिमावान..

द्रोण न हों शिक्षक कभी, ले शिक्षा का दाम.
एकलव्य से शिष्य से, माँग अँगूठा वाम..


शिक्षक दुर्वासा न हो, पल-पल दे अभिशाप.
असफल हो यदि शिष्य तो, गुरु को लगता पाप..

राधाकृष्णन को कभी, भुला न सकते छात्र.
जानकार थे विश्व में, वे दर्शन के मात्र..

महीयसी शिक्षक मिलीं, शिष्याओं का भाग्य.
करें जन्म भर याद वे, जिन्हें मिला सौभाग्य..

शिक्षक मिले रवीन्द्र सम, शिष्य शिवानी नाम.
मणि-कांचन संयोग को, करिए विनत प्रणाम..

ओशो सा शिक्षक मिले, बने सरल-हर गूढ़.
विद्वानों को मात दे, शिष्य रहा हो मूढ़..

हो कलाम शिक्षक- 'सलिल', झट बन जा तू छात्र.
गत-आगत का सेतु सा, ज्ञान मिले बन पात्र..


ज्यों गुलाब के पुष्प में, रूप गंध गुलकंद.
त्यों शिक्षक में समाहित, ज्ञान-भाव-आनंद..


Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
शिक्षक पारसमणि सदृश...
संजीव 'सलिल
*
शिक्षक पारसमणि सदृश, करे लौह को स्वर्ण.
दूर करे अज्ञानता, उगा बीज से पर्ण..
सत-शिव-सुंदर साध्य है, साधन शिक्षा-ज्ञान.
सत-चित-आनंद दे हमें, शिक्षक गुण-रस-खान..
शिक्षक शिक्षा दे सदा, पाये शिष्य निखार.
कंकर को शंकर बना, जीवन सके संवार..
शिक्षक वह जो सिखा दे, भाषा गुण विज्ञान.
नेह निनादित नर्मदा, बहे बना गुणवान..
प्रतिभा को पहचानकर, जो दिखलाता राह.
शिक्षक उसको जानिए, जिसमें धैर्य अथाह..
जान-समझ जो विषय को, रखे पूर्ण अधिकार.
उस शिक्षक का प्राप्य है, शत शिष्यों का प्यार..
शिक्षक हो संदीपनी, शिष्य सुदामा-श्याम.
बना सकें जो धरा को, तीरथ वसुधा धाम..
विश्वामित्र-वशिष्ठ हों, शिक्षक ज्ञान-निधान.
राम-लखन से शिष्य हों, तब ही महिमावान..
द्रोण न हों शिक्षक कभी, ले शिक्षा का दाम.
एकलव्य से शिष्य से, माँग अँगूठा वाम..
शिक्षक दुर्वासा न हो, पल-पल दे अभिशाप.
असफल हो यदि शिष्य तो, गुरु को लगता पाप..
राधाकृष्णन को कभी, भुला न सकते छात्र.
जानकार थे विश्व में, वे दर्शन के मात्र..
महीयसी शिक्षक मिलीं, शिष्याओं का भाग्य.
करें जन्म भर याद वे, जिन्हें मिला सौभाग्य..
शिक्षक मिले रवीन्द्र सम, शिष्य शिवानी नाम.
मणि-कांचन संयोग को, करिए विनत प्रणाम..
ओशो सा शिक्षक मिले, बने सरल-हर गूढ़.
विद्वानों को मात दे, शिष्य रहा हो मूढ़..
हो कलाम शिक्षक- 'सलिल', झट बन जा तू छात्र.
गत-आगत का सेतु सा, ज्ञान मिले बन पात्र..
ज्यों गुलाब के पुष्प में, रूप गंध गुलकंद.
त्यों शिक्षक में समाहित, ज्ञान-भाव-आनंद..
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
Ram Gautam ✆ gautamrb03@yahoo.com
जवाब देंहटाएंekavita
आचार्य जी, शिक्षक दिवस पर, शिक्षक की महिमा का सुन्दर यशगान किया है|
आपको बधाई स्वीकार हो|
आचार्य जी, नालंदा के जगतगुरु का नाम कैसे छुट गया? जहां विश्व भर के लोग शिक्षा लेने
के लिए आते थे और उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था लोग घरों में दरवाजा
नहीं लगाते थे|
सादर - गौतम
- subesujan21@gmail.com
जवाब देंहटाएंसार्थक गुणगान किया है। धन्यवाद।।
achal verma ✆ achalkumar44@yahoo.com
जवाब देंहटाएंekavita
आ. आचार्य जी,
बहुत ही उत्कृष्ट रचना
प्रतिभा को पहचानकर, जो दिखलाता राह.
शिक्षक उसको जानिए, जिसमें धैर्य अथाह..
"मिट्टी को कंचन करे सद्गुरु उसको जान
ऐसे गुरु का जगत में सदा हुआ सम्मान।"
अचल वर्मा
सभी का आभार शत-शत...
जवाब देंहटाएंत्रुटि करना मानव स्वभाव है... आपकी आज्ञा का पालन कर रहा हूँ...
शिक्षक हो चाणक्य सा, संकल्पी दृढ़ विज्ञ.
चन्द्रगुप्त बनता तभी, दासीसुत अल्पज्ञ ..
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
आ० आचार्य जी,
महान शिक्षकों के चित्र के साथ सभी दोहे एक से एक बढ़कर प्रेरणादायक है|आचार्य जी आपमें भी यह सभी गुण कूट कूटकर भरे हैं| हम सब कितने भाग्यशाली हैं कि आप से इतना कुछ सीख पारहे हैं| आज के दिवस आपको नमन|
शिक्षक जो निस्वार्थ मन शिक्षा सबको देय
बन विनम्र आचार्य सम श्रद्धा सबकी लेय
सादर,
कमल
- sosimadhu@gmail.com
जवाब देंहटाएंआ. संजीव जी
कमल दादा ने जो कहा अपना भी वो ही कहना है आपके दोहे बेमिसाल है । प्रशंसा के लायक शब्द नहीं हैं
मधु
- prans69@gmail.com
जवाब देंहटाएंदोहों में मिश्री घुली हैं.
यह आपका ही कमाल ही प्रिय संजीव जी.
vijay ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
प्रिय संजीव जी,
आपके हाथ में कमाल है !
विजय
प्राण कमल मधु विजय का, शत-शत है आभार.
जवाब देंहटाएंकूट-कूट गुरुजनों ने, दिया ज्ञान-भण्डार..
कूट-कूट कुछ अल्पांश ही, गह पाया मैं अज्ञ.
बढ़ा रहे उत्साह नित, आप उदारी विज्ञ..
shriprakash shukla✆ yahoogroups.com ekavita
जवाब देंहटाएंशिक्षक की महिमा सुगढ़ चुन चुन करी बखान
शिक्षक हो आचार्य सा,,ज्ञान स्रोत गुणवान
अद्भुत कृति आचार्य जी | ढेर सी बधाईयाँ
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
salil.sanjiv@gmail.com
जवाब देंहटाएंekavita
श्री-प्रकाश पाने 'सलिल', बनना चाहे छात्र.
सदय रहें गुरु बनालें, शिष्य अगर हो पात्र..
Mahipal Singh Tomar ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस पर -समर्पित शब्द समिधाओं के लिए आप श्लाग्नीय ,
बधाई ,शुभेच्छु ,
महिपाल ,५ सितम्बर ( so called शिक्षक दिवस )२० १२
(The country where teacher is least respected , because of the black slaves )
Indira Pratap ✆ yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
लघु भ्राता संजीव जी ,
यह अनुपम शिक्षक दिवस और ये दोहे, बड़ी बहन जितना गर्व करे थोडा है| याद रहेगा यह दिन| बहन