दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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आ .सलिल जी आपके उत्कृष्ट ,विद्वत्तापूर्ण दोहों.कविताओं रचनाओं पर मेरी प्रतिक्रिया करने की औकात ही नहीं है| मै आजकल प्रतिक्रिया लिख भ़ी नहीं पा रही हूँ............हाँ आपको पढ़े बिना रहा नहीं जा सकता| मन में हरि का वास हो,हर पल उसकी याद, रहूँ मै हर पल प्रेम में,उससे हो संवाद |
शत शत वंदन आपको बढ़े सदा ही मान, जीवन-यात्रा शुभ रहे,आप गुणों की खान |
आ० संजीव’, सलिल’जी, दोहों में रचना मुझे हमेशा कविवर बिहारी जी की याद दिलाती है , मेरे प्रिय कवि भी हैं | आपके दोहे मुझे उसी भावलोक में ले जाते हैं | सुन्दर दोहों के लिए साधुवाद | मैं भी दो दोहे लिखने की हिम्मत जुटा पाई हूँ | कमियों के लिए क्षमा करिएगा ,यद्यपि प्रयास बचकाना ही है | जन्म सफल होता तभी, जब रटता प्रभु नाम | नाम रटत ही दिन कटें, हमको दो वरदान |
कृष्ण कृष्ण की रटन हो , या मन में श्री राम | मन तो मेरा बावरा , रटे सदा हरि राम |
- murarkasampatdevii@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंआ. सलील जी,
आपकी रचनाएँ मन को छू जाति है. बहुत सुन्दर.
सादर,
सम्पत
श्रीमती संपत देवी मुरारका
Smt. Sampat Devi Murarka
लेखिका, कवयित्री, पत्रकार
Writer, Poetess, Journalist
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आ .सलिल जी
जवाब देंहटाएंआपके उत्कृष्ट ,विद्वत्तापूर्ण दोहों.कविताओं रचनाओं पर मेरी प्रतिक्रिया करने की औकात ही नहीं है|
मै आजकल प्रतिक्रिया लिख भ़ी नहीं पा रही हूँ............हाँ आपको पढ़े बिना रहा नहीं जा सकता|
मन में हरि का वास हो,हर पल उसकी याद,
रहूँ मै हर पल प्रेम में,उससे हो संवाद |
शत शत वंदन आपको बढ़े सदा ही मान,
जीवन-यात्रा शुभ रहे,आप गुणों की खान |
आपके संपूर्ण लेखन हेतु वंदन
सादर
प्रणव भारती
'सलिल' मात्र दर्पण रहे, जग देखे निज बिम्ब.
जवाब देंहटाएंजैसी जिसकी भावना, वैसा हो प्रतिबिम्ब..
आप गुणों की खान हैं, दिखीं गुणों की खान.
नित नत-शिर वंदन करूँ, दें आशिष वरदान..
आ० संजीव’, सलिल’जी,
जवाब देंहटाएंदोहों में रचना मुझे हमेशा कविवर बिहारी जी की याद दिलाती है , मेरे प्रिय कवि भी हैं | आपके दोहे मुझे उसी भावलोक में ले जाते हैं | सुन्दर दोहों के लिए साधुवाद | मैं भी दो दोहे लिखने की हिम्मत जुटा पाई हूँ | कमियों के लिए क्षमा करिएगा ,यद्यपि प्रयास बचकाना ही है |
जन्म सफल होता तभी, जब रटता प्रभु नाम |
नाम रटत ही दिन कटें, हमको दो वरदान |
कृष्ण कृष्ण की रटन हो , या मन में श्री राम |
मन तो मेरा बावरा , रटे सदा हरि राम |
Regards,
Indira
- shishirsarabhai@yahoo.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजीव जी,
प्रभु के नाम आपकी पाती बहुत अच्छी लगी .
जन्म-जन्म जन्माष्टमी, मना सकूँ हे नाथ.
कृष्ण भक्त को नमन कर, मैं हो सकूँ सनाथ.
बहुत शांति सी दे गई यह पाती ....
साधुवाद,
सादर,
शिशिर
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
भक्ति रस में डूबे तीनों दोहों को नमन !
कमल
deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
बधाई !
- sosimadhu@gmail.com
जवाब देंहटाएंभक्ति से सरोबोर भक्त की अनुपम वंदना को मेरा शत बार नत मस्तक
my 13 year old grand son varun said on krishna;
"why doesn't he try something new."
madhu
Santosh Bhauwala✆ yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
आदरणीय सलिल जी,
भक्ति में लिपटे दोहे बहुत मनभावन लगे!! साधुवाद
संतोष भाऊवाला
drdeepti25@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी !