सोमवार, 20 अगस्त 2012

सचित्र कविता : 1 संध्या

सचित्र कविता : 1 संध्या

1 टिप्पणी:

  1. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.comबुधवार, अगस्त 22, 2012 7:46:00 pm

    sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आ० आचार्य जी,
    आपके सुझावानुसार पहली बार आपके ब्लॉग पर गया और वहाँ कई सुखद अनुभूतियाँ हुईं|सांध्य सुंदरी पर चित्र पर ही लिखा आपका छन्द मन मोह गया | धन्य है, आपकी लेखनी को पुनः नमन| प्रकृति की छटा पर कविता मेरा प्रिय विषय रहा है| प्रतिक्रिया में-
    जीवन की संध्या वेला में
    सांध्य-किरण का कुमकुम चन्दन
    गीतों में भर भर कर अर्पित
    करता रहता चंचल कवि मन
    सादर ,
    कमल

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