रविवार, 8 जुलाई 2012

कविता:: 'बारिश ' --शिशिर साराभाई

            कविता:: 
            'बारिश '
                  
               शिशिर साराभाई 
    


   बारिश  आती  है, तो  कितनी  यादें  साथ  लाती है 
   सौंधी खुशबू के साथ, कभी  अमराई  साथ आती है
   कभी  फूलों  से भरे घर  के बगीचे की याद आती  है 
   कभी तेरे-मेंरे  बीच  की  प्यारी बात  गुनगुनाती  है 
   बारिश  आती  है, तो  कितनी  यादें  साथ  लाती है


  


   कभी माँ  की आवाज़ दूर से आती सुनाई  पडती है
  कभी बूढ़े  बाबा   की  मीठी  पुकार  लहरा उठती है
   कभी बहन  की  शहद सी हँसी  खनखना  उठती है 
   कभी   छोटू  की   याद   में  आँखें  भीग उठती   है 
   बारिश  आती  है,तो  कितनी  यादें  साथ  लाती है
             
              **************
              Shishir Sarabhai <shishirsarabhai@yahoo.com>  

5 टिप्‍पणियां:

  1. sn Sharma

    प्रिय शिशिर जी,
    रचना रुचिकर है , बधाई |
    बारिश आती है तो यादों की बारात लाती है
    अतीत के चित्रों की सौगात साथ लाती है |
    कमल

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  2. - kiran5690472@yahoo.co.in


    आ. शिशिर जी..

    बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने!

    बारिश जैसे विषय पर सामान्यतः प्रेमी/ प्रेमिका को याद किया जाता है.. लेकिन आप की कविता में घर के हर अभिन्न सदस्य को याद किया गया है जो मुझे बहुत ही अनूठा लगा !

    अनेक सुभकामनाएँ !

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  3. Pranava Bharti ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara



    आ. शिशिर जी
    संबंधों की डोर रहे हाथ में,
    स्मृतियाँ चलें साथ में........
    बारिश आती है
    तन-मन भिगो जाती है|
    दूर कहीं जुगनुओं की बारात
    मुझमें समो जाती है|
    नन्ही सी हथेली पर
    समेटने को बूँदें
    भागना माँ से छिप छिपकर
    और फिर खाना डांट
    'बीमार पड़ जाना,
    न पढने का मिल जायेगा बहाना|'
    बिसुरते मुंह से देखना
    द्वार का बंद होना
    और फिर मौका पाने
    की तलाश में
    कर लेना आँखें बंद
    जुगनुओं का सिमट जाना
    आँखों में,
    न जाने कब
    चमक भर आँखों में
    सो जाना
    सुबह सब भूलकर चिपट जाना
    'तुम कितनी अच्छी हो....!'
    और माँ की आँखों में सावन भर जाना
    ऐसा होता था
    बारिश का आना
    और जाना.............|

    प्रणव भारती

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  4. बारिश के साथ कितनी ही स्मृतियों के बादल भी बरस जाते हैं ...सुंदर अभिव्यक्ति

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