मंगलवार, 29 मई 2012

मुक्तिका: दिल में दूरी... --संजीव 'सलिल'

 
मुक्तिका:
दिल में दूरी...
संजीव 'सलिल'

*
 
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दिल में दूरी हो मगर हाथ मिलाये रखना.
भूख सहकर भी 'सलिल' साख बचाये रखना..

जहाँ माटी ही न मजबूत मिले छोड़ उसे.
भूल कर भी न वहाँ नीव के पाये रखना..

गैर के डर से न अपनों को कभी बिसराना.
दर पे अपनों के न कभी मुँह को तू बाये रखना..

ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

कोई प्यासा ले बुझा प्यास, मना मत करना.
जूझ पत्थर से सलिल धार बहाये रखना..

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10 टिप्‍पणियां:

  1. Yogi Saraswat

    दिल में दूरी हो मगर हाथ मिलाये रखना.
    भूख सहकर भी 'सलिल' साख बचाये रखना..

    जहाँ माटी ही न मजबूत मिले छोड़ उसे.
    भूल कर भी न वहाँ नीव के पाये रखना..

    लेकिन साब हो तो उल्टा रहा है , यहाँ भरे पेट वाले भी खुद को गिरवी रखने को तैयार हैं ! बेहतरीन ग़ज़ल

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  2. rajesh kumari

    ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..बहुत सुन्दर सलिल जी बहुत सुन्दर भाव हैं इस ग़ज़ल में बहुत बधाई

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  3. SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"

    wah......wah.......salil ji bahut achchi rachna hai bahut bahut badhai kubool karein

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  4. Rekha Joshi

    ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

    bahut achhi rachna ,badhai

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  5. PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

    आदरणीय सलिल जी,
    सादर अभिवादन
    ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

    कोई प्यासा ले बुझा प्यास, मना मत करना.
    जूझ पत्थर से सलिल धार बहाये रखना..
    बहुत अच्छा सदेश , बधाई

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  6. SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
    जहाँ माटी ही न मजबूत मिले छोड़ उसे.
    भूल कर भी न वहाँ नीव के पाये रखना..

    ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

    आदरणीय आचार्य सलिल जी ..बहुत उपयोगी और ..सुन्दर सन्देश देती रचना ..आभार ....भ्रमर

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  7. MAHIMA SHREE
    ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

    कोई प्यासा ले बुझा प्यास, मना मत करना.
    जूझ पत्थर से सलिल धार बहाये रखना..

    आदरणीय सलिल सर ... बहुत ही बढ़िया .. बधाई स्वीकार करें

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  8. आदरणीय आचार्य जी
    आपको पढ़ना हमेशा सुखद अनुभव होता है। ये रचना भी बहुत अच्छी और ज्ञान वर्धक है।

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  9. ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.
    जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..

    एक भावप्रधान व अर्थप्रधान ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर .

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  10. बागी जी, आशीष जी, महिमा जी, भ्रमर जी, प्रदीप जी, रेखा जी, हसरत जी, राजेश जी, योगी जी!
    आपकी गुणग्राहकता को नमन..

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