रविवार, 18 मार्च 2012

अवधी हाइकु सलिला: --संजीव 'सलिल'

अवधी हाइकु सलिला:  

संजीव 'सलिल'

*
*
सुखा औ दुखा
रहत है भइया
घर मइहाँ.
*
घाम-छांहिक
फूला फुलवारिम
जानी-अंजानी.
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कवि मनवा
कविता किरनिया
झरझरात.
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प्रेम फुलवा
ई दुनियां मइहां
महकत है.
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रंग-बिरंगे
सपनक भित्तर
फुलवा हन.
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नेह नर्मदा
हे हमार बहिनी
छलछलात.
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अवधी बोली
गजब के मिठास
मिसरी नाई.
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अवधी केर
अलग पहचान
हृदयस्पर्शी.
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बेरोजगारी
बिखरा घर-बार
बिदेस प्रवास.
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बोली चिरैया
झरत झरनवा
संगीत धारा.
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2 टिप्‍पणियां:

  1. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.comगुरुवार, मार्च 22, 2012 5:24:00 am

    sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com


    आ० आचार्य जी,

    सभी हाईकू अवधी की महक लिये अति सुन्दर लगे । साधुवाद

    सादर,
    कमल

    जवाब देंहटाएं
  2. santosh bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com



    आदरणीय आचार्य जी ,आपकी पकड़ हर विधा में निराली है नमन !!
    सादर संतोष भाऊवाला

    जवाब देंहटाएं