दोहा सलिला:
गले मिले दोहा यमक
संजीव 'सलिल'
*
देव! दूर कर बला हर, हो न करबला और.
जयी न हो अन्याय फिर, चले न्याय का दौर..
*
'सलिल' न हो नवजात की, अब कोइ नव जात.
मानव मानव एक हों, भेद नहीं हो ज्ञात..
*
मन असमंजस में पड़ा, सुनकर खाना शब्द.
खा या खा ना क्या कहा?, सोच रहा नि:शब्द..
*
किस उधेड़-बुन में पड़े, फेरे मुँह चुपचाप.
फिर उधेड़-बुन कर सकें, स्वेटर पूरा आप..
*
होली हो ली हो रही, होगी नहीं समाप्त.
रंग नेह का हमेशा, रहे जगत में व्याप्त..
*
खाला ने खाली दवा, खाली शीशी फेंक.
देखा खालू दूर से, आँख रहे हैं सेंक..
*
आपा आपा खो नहीं, बिगड़ जायेगी बात.
जो आपे में ना रहे, उसकी होती मात..
*
स्वेद सना तन कह रहा, प्रथा सनातन खूब.
वरे सफलता वही जो, श्रम में जाए डूब..
*
साजन सा जन दूसरा, बिलकुल नहीं सुहाय.
सजनी अपलक रात में, जागे नींद न आय..
*
बाल-बाल बच गये सब, ग्वाल बाल रह मौन.
बाल किशन के खींचकर, भागी बाला कौन?
*
बाला का बाला चमक, बता गया चुप नाम.
मैया से किसने करी, चुगली लेकर नाम..
*
गले मिले दोहा यमक
संजीव 'सलिल'
*
देव! दूर कर बला हर, हो न करबला और.
जयी न हो अन्याय फिर, चले न्याय का दौर..
*
'सलिल' न हो नवजात की, अब कोइ नव जात.
मानव मानव एक हों, भेद नहीं हो ज्ञात..
*
मन असमंजस में पड़ा, सुनकर खाना शब्द.
खा या खा ना क्या कहा?, सोच रहा नि:शब्द..
*
किस उधेड़-बुन में पड़े, फेरे मुँह चुपचाप.
फिर उधेड़-बुन कर सकें, स्वेटर पूरा आप..
*
होली हो ली हो रही, होगी नहीं समाप्त.
रंग नेह का हमेशा, रहे जगत में व्याप्त..
*
खाला ने खाली दवा, खाली शीशी फेंक.
देखा खालू दूर से, आँख रहे हैं सेंक..
*
आपा आपा खो नहीं, बिगड़ जायेगी बात.
जो आपे में ना रहे, उसकी होती मात..
*
स्वेद सना तन कह रहा, प्रथा सनातन खूब.
वरे सफलता वही जो, श्रम में जाए डूब..
*
साजन सा जन दूसरा, बिलकुल नहीं सुहाय.
सजनी अपलक रात में, जागे नींद न आय..
*
बाल-बाल बच गये सब, ग्वाल बाल रह मौन.
बाल किशन के खींचकर, भागी बाला कौन?
*
बाला का बाला चमक, बता गया चुप नाम.
मैया से किसने करी, चुगली लेकर नाम..
*
mstsagar@gmail.com द्वारा returns.groups. yahoo.com ekavita
जवाब देंहटाएंयमक के नमक की , क्या कहिये ?
आप तो यूँ ही बस , लिखते रहिये |
महिपाल,४/३/१२
दोहों के तो आप आचार्य हैं ही , पर ये उद्धृत किये बिना नहीं रह पा रही हूँ :)
जवाब देंहटाएंबाल-बाल बच गये सब, ग्वाल बाल रह मौन.
बाल किशन के खींचकर, भागी बाला कौन? --- हा हा , बहुत ही भोला, सुन्दर स्नेहिल!
आपका आदेश सिर-आँखों पर.
जवाब देंहटाएंmstsagar@gmail.com द्वारा returns.groups.yahoo.com
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं पाए हैं हम,आपका अंदाजे बयां ,
आपने इज्जत दी है या ,हमने कोई गलती की है |
अपनी समझ में हमने तारीफ ही की थी,
सीखने की कोशिश है ,गलती हो गई होगी ,
चेला के समझ के हमको ,माफ़ कीजिये ,
आप जैसा कुछ लिख सकें ,आशीष दीजिये |
महिपाल,४/३/१२ ,ग्वालियर
mstsagar@gmail.com
जवाब देंहटाएं4 मार्च
मुझे
पुनश्च-भूल सुधार टंकण का
समझ नहीं पाए हैं हम,आपका अंदाजे बयां ,
आपने इज्जत दी है या ,हमने कोई गलती की है |
अपनी समझ में हमने तारीफ ही की थी,
सीखने की कोशिश है ,गलती हो गई होगी ,
चेला , समझ के हमको ,माफ़ कीजिये ,
sanjiv verma salil ✆
जवाब देंहटाएं4 मार्च
Mahipal
आदरणीय!
आप मेरे आदरणीय हैं. आपके असम्मान की बात कल्पना तक में नहीं सोच सकता. आपका स्नेह-आशीर्वाद पाना मेरा सौभाग्य है. आपको सम्मान देकर भी मैं स्वयं को अनुग्रहीत मानता हूँ.
मुझसे कहाँ क्या त्रुटि हुई? कृपया, बताइए ताकि सुधार सकूँ. अनजाने में हुई गलती हेतु अग्रिम क्षमा-प्रार्थना... जो भी दंद आप देंगे सादर शिरोधार्य है.
महिपाल की पग-रज मिले तो भी सलिल तर जायेगा.
जब तक बहेगा महि पर महिपाल के गुण गायेगा.
kusumsinha2000@yahoo.com
जवाब देंहटाएं4 मार्च
priy sanjiv ji
aab to aap dohe likhne me mahan ho gaye hain bahut sundar doho ke liye badhai
kusum
dks poet ✆
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी,
हमेशा की तरह शानदार दोहे, बधाई
सादर