रविवार, 19 फ़रवरी 2012

दोहा सलिला: दोहा कहे मुहावरा... --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला: 
दोहा कहे मुहावरा...
संजीव 'सलिल'
*
दोहा कहे मुहावरा, सुन-गुन समझो मीत.
इसमें सदियों से बसी, जन-जीवन की रीत..
*
पानी-पानी हो गये, साहस बल मति धीर.
जब संयम के पल हुए, पानी की प्राचीर..
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चीन्ह-चीन्ह कर दे रहे, नित अपनों को लाभ.
धृतराष्ट्री नेता हुए, इसीलिये निर-आभ..
*
पंथ वाद दल भूलकर, साध रहे निज स्वार्थ.
संसद में बगुला भगत, तज जनहित-परमार्थ..
*
छुरा पीठ में भौंकना, नेता जी का शौक.
लोकतंत्र का श्वान क्यों, काट न लेता भौंक?
*
राजनीति में संत भी, बदल रहे हैं रंग.
मैली नाले सँग हुई, जैसे पावन गंग..
*
दरिया दिल हैं बात के, लेकिन दिल के तंग.
पशोपेश उनको कहें, हम अनंग या नंग?
*
मिला हाथ से हाथ वे, चला रहे सरकार.
भुला-भुना आदर्श को, पाल रहे सहकार..
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लिये हाथ में हाथ हैं, खरहा शेर सियार.
मिलते गले चुनाव में, कल झगड़ेंगे यार..
*
गाल बजाते फिर रहे, गली-गली सरकार.
गाल फुलाये जो उन्हें, करें नमन सौ बार..
*
राम नाप जपते रहे,गैरों का खा माल.
राम नाम सत राम बिन, करते राम कमाल..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

5 टिप्‍पणियां:

  1. आ० सलिल जी
    वाह कमाल का प्रयोग है। मुहावरों को दोहों मे संयुक्त करके बहुत बड़ा कार्य किया है आपने।
    आपकी लेखनी इसी प्रकार बढ़ती रहे। आपकी लेखनी को नमन।
    सन्तोष कुमार सिंह
    --Sun, 19/2/12

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  2. sn Sharma ✆ द्वारा returns.groups. yahoo.com ekavitaरविवार, फ़रवरी 19, 2012 10:21:00 pm

    sn Sharma ✆ द्वारा returns.groups. yahoo.com ekavita


    आ० आचार्य जी,
    दोहों में मुहावरों का इतना सटीक और सफ़ल प्रयोग की क्षमता आपकी लेखनी की विशेषता है । प्रत्येक दोहा कमाल का है ।
    दोह विधा के आप अति सक्षम विशेषग्य हैं । लेखनी को नमन ।

    सादर
    कमल

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  3. - pratapsingh1971@gmail.com

    आदरणीय आचार्य जी

    पंथ वाद दल भूलकर, साध रहे निज स्वार्थ.
    संसद में बगुला भगत, तज जनहित-परमार्थ.. बहुत सही !

    दोहों में मुहावरों का बहुत ही सुन्दर प्रयोग किया है आपने .

    साधुवाद !

    सादर
    प्रताप

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  4. dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com ekavita

    आदरणीय सलिल जी,
    आपका यह प्रयोग भी बहुत खूब है।
    बधाई स्वीकारें।
    सादर

    धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’

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  5. santosh.bhauwala@gmail.com द्वारा returns.groups.yahoo.com ekavita

    आदरणीय आचार्य जी ,दोहों और मुहावरों का मेल बहुत मन भाया साधुवाद !!
    संतोष भाऊवाला

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