गीति रचना :
चाहिए
संजीव 'सलिल'
*
शुभ भाव मन में उठें तो, लिखना-सुनाना चाहिए.
कविताओं की संसद सजी, करतल गुंजाना चाहिए..
नेताओं ने लूटा वतन यह, सच बताना चाहिए.
स्विस बैंक में जोड़ा-जमा धन, देश लाना चाहिए..
कुसुम कोशिश के दसों दिश, महमहाना चाहिए.
श्रम के परिंदों को निरंतर, चहचहाना चाहिए..
गीत मुक्तक गजल दोहे, गुनगुनाना चाहिए.
तिमिर-पथ पर दीप स्नेहिल जगमगाना चाहिए..
दुःख-दर्द आँसू पीर को, जग से छिपाना चाहिए.
बीती हुई यादें सलीके, से तहाना चाहिए..
तृषा प्यासे की 'सलिल', पल में मिटाना चाहिए.
प्रिय जब मिलें तो ईद-होली, हँस मनाना चाहिए..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
आदरणीय सलिल जी,
जवाब देंहटाएंभाव प्रेरित मधुर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें |
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
--
Web:http://bikhreswar.blogspot.com/
achal verma ✆
जवाब देंहटाएंसोंच सोंच दुर्दशा देश की
व्यथित बहुत हो जाता है मन
बना प्रवासी मगर हमेशा
क्यों इतना अकुलाता है मन
जब कोई भी पाती आती
सुनता महंगाई की बातें
भ्रष्टाचार आकाश छू रहा
सभी सह रहे प्रत्याघातें
भगवन भारत सुबक रहा है
क्या तुमको ना पड़े सुनाई
जबजब जन-जन में पीड़ा हो
तब तब ही तुम पड़े दिखाई
कहती है सरकार वहाँ की
अपना देश तरक्की पर है
नगर नगर में धूम है इसका
भारत जागृत हुआ इधर है
फिर क्यों हर मन में शंका है
ऊपर वाले लूट रहे हैं
बड़ी गंदगी सभी मार्ग पर
जल नदियों का सूख रहे हैं
बढ़ती जाती है जनसंख्या
घटती जाती हैं आशाएं
दूर देश से हम विदेश में
कैसे कोई खुशी मनाएं ||
अचल वर्मा
भाई अचल जी,
जवाब देंहटाएंआपकी चिन्ता वाजिब हैं, यह सभी समझदार और देशप्रेमी
की चिंता है. इसे सुन्दर शब्दों में पिरो कर कहा अच्छा लगा.
बधाई.
मुकेश इलाहाबादी
आ० सलिल जी
जवाब देंहटाएंउपदेशात्मक और भावनात्मक रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ। तहाना का शाब्दिक अर्थ कृपया समझायें।
सन्तोष कुमार सिंह
--- On Thu, 10/11/11
आ० सलिल जी
जवाब देंहटाएंउपदेशात्मक और भावनात्मक रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ। तहाना का शाब्दिक अर्थ कृपया समझायें।
सन्तोष कुमार सिंह
--- On Thu, 10/11/11
आ० आचार्य जी ,
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद गीत के लिये साधुवाद
सादर,
कमल
आ० आचार्य ’सलिल’ जी और अचल जी,
जवाब देंहटाएंभावप्रेरित उपदेश भरी रचना के लिए आप दोनों को बधाई..
विजय निकोर