सोमवार, 30 मई 2011

मुक्तिका: है भारत में महाभारत... -- संजीव 'सलिल'


  है भारत में महाभारत...
  संजीव 'सलिल'
ये भारत है, महाभारत समय ने ही कराया है.
लड़ा सत से असत सिर असत का नीचा कराया है..  

निशा का पाश तोड़ा, साथ ऊषा के लिये फेरे.
तिमिर हर सूर्य ने दुनिया को उजयारा कराया है..

रचें सदभावमय दुनिया, विनत लेकिन सुदृढ़ हों हम.
लदेंगे दुश्मनों के दिन, तिलक सच का कराया है..

मिली संजय की दृष्टि, पर रहा धृतराष्ट्र अंधा ही.
न सच माना, असत ने नाश सब कुल का कराया है..

बनेगी प्रीत जीवन रीत, होगी स्वर्ग यह धरती.
मिटा मतभेद, श्रम-सहयोग ने दावा कराया है..

रहे रागी बनें बागी, विरागी हों न कर मेहनत.
अँगुलियों से बनें मुट्ठी, अहद पूरा कराया है..

जरा सी जिद ने इस आँगन का बंटवारा कराया हैं.
हुए हैं एक फिर से नेक, अँकवारा कराया है..

बने धर्मेन्द्र जब सिंह तो, मने जंगल में भी मंगल.
हरी हो फिर से यह धरती, 'सलिल' वादा कराया है..

**********
अँकवारा = अंक में भरना, स्नेह से गोद में बैठाना, आलिगन करना.

14 टिप्‍पणियां:

  1. ये भारत है, महाभारत समय ने ही कराया है.
    लड़ा सत से असत सिर असत का नीचा कराया है..

    //वाह वाह वाह - भारतीयता की सुगंध से भरे इस मतले से सुन्दर आरम्भ किया !//

    निशा का पाश तोड़ा, साथ ऊषा के लिये फेरे..
    तिमिर हर सूर्य ने दुनिया को उजयारा कराया है.

    //आहा हा हा हा हा - क्या दृश्य-चित्रण किया है आचार्य जी !//

    रचें सदभावमय दुनिया,विनत लेकिन सुदृढ़ हों हम
    लदेंगे दुश्मनों के दिन, तिलक सच का कराया है

    //दुश्मनों के दिन अवश्य लदेंगे - बहुत सुन्दर शे'र //

    मिली संजय की दृष्टि, पर रहा धृतराष्ट्र अंधा ही.
    न सच माना,असत ने नाश सब कुल का कराया है

    //आँख के साथ साथ जब मनुष्य निज-स्वार्थ से भी अँधा होगा तो नाश होना निश्चित ही है !//

    बनेगी प्रीत जीवन रीत, होगी स्वर्ग यह धरती.
    मिटा मतभेद, श्रम-सहयोग ने दावा कराया है..

    //आमीन !//
    रहे रागी बनें बागी, विरागी हों न कर मेहनत.
    अँगुलियों से बनें मुट्ठी, अहद पूरा कराया है..

    //वाह वाह वाह !//

    जरा सी जिद ने इस आँगन का बंटवारा कराया हैं।
    हुए हैं एक फिर से नेक, अँकवारा कराया है..

    //बटवारे के दर्द को भुलाने का बहुत ही सुन्दर परिहार सुझाया है आपने - आनंद आ गया !//

    बने धर्मेन्द्र जब सिंह तो,मने जंगल में भी मंगल.
    हरी हो फिरसे यह धरती,'सलिल' वादा कराया है


    //सुन्दर मकता !//

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  2. आपकी ज़र्रानवाजी का शुक्रिया...

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  3. आचार्य जी, मत्‍ले का शेर फिर चूक गया।

    इस तरही मिसरे में यही समस्‍या थी। 'कराया है' देखते ही ध्‍यान भटक जाता है और 'है' रह जाता है रदीफ़ 'कराया' काफि़या का शब्‍द।

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  4. आपकी पारखी दृष्टि को सलाम कपूर साहिब !

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  5. तिलक जी बिलकुल सही कहा आपने..........ये अक्सर हो जाता है|

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  6. Tilak Raj Kapoor
    वहॉं तो काफि़या 'ई' स्‍वर था इसलिये मसहरी, गिलहरी काफि़या के रूप में ठीक थे, हॉं जिसने घोषणा नहीं पढ़ी होगी उससे रदीफ़़ में चूक हुई होगी, शायद आपका आशय वही है; अभी तक ऐसी कोई ग़ज़ल वहॉं दिखी नहीं।

    यहॉं भी घोषणा पढ़ने के बाद रदीफ़ काफि़या नोट नहीं किया तो केवल ध्‍यान के आधार पर रदीफ़ की त्रुटि की संभावना है।

    यहॉं एक पाठ मिलता है कि तरही मिसरा और रदीफ़, काफि़या पूरी तरह नोट करना चाहिये, स्‍मरण शक्ति पर विश्‍वास ठीक नहीं।

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  7. आत्मीय!
    आपका शुक्रगुजार हूँ अपने मत्‍ले की गलती बताई... इसे यूँ किया जा सकता है क्या?

    है भारत में महाभारत समय ने क्या कराया है?
    लड़ा सत से असत सिर असत का नीचा कराया है..

    इस आयोजन से हटकर एक छोटी सी जिज्ञासा... यह शुक्रगुज़ार या शुक्रिया ही क्यों कहा जाता है? शनिगुजार या शनीरिया क्यों नहीं कहा जाता?

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  8. शुक्र यानि जुम्‍मा का अलग ही महत्‍व है, यह तो सर्वविदित है अब शुक्र गुजार लिया तो मज़ा आ गया। नमाज़ भी अदा हो गयी और जुम्‍मे का वादा भी पूरा हो गया। शुक्रिया तो पूरी तरह से भोपाली देन लगता है; कर रिया, मर रिया, लड़्र रिया, शुक् रिया।

    खैर ये तो हुआ मज़ाकिया उत्‍तर। अगर सवाल गंभीर है तो सोचना पड़ेगा।

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  9. महाभारत है(ह) भारत में, समय ने क्‍या कराया है

    असत की चाल ने सत-शीष को नीचा कराया है।

    कैसा रहेगा।

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  10. महाभारत हुआ भारत, समय ने क्‍या कराया है

    असत की चाल ने सत-शीष को नीचा कराया है।

    कैसा रहेगा।

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  11. वाह !!!!! लाजवाब




    निशा का पाश तोड़ा, साथ ऊषा के लिये फेरे..
    तिमिर हर सूर्य ने दुनिया को उजयारा कराया है



    अद्बुत वर्णन|



    बनेगी प्रीत जीवन रीत, होगी स्वर्ग यह धरती.
    मिटा मतभेद, श्रम-सहयोग ने दावा कराया है..

    बहुत सुन्दर भाव



    मिली संजय की दृष्टि, पर रहा धृतराष्ट्र अंधा ही.
    न सच माना, असत ने नाश सब कुल का कराया



    बहुत खूब ...संजय की दृष्टी और अंधा धृतराष्ट्र.........बहुत बहुत बधाई|

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  12. Dharmendra kumar singh 'sajjan'सोमवार, मई 30, 2011 2:49:00 pm

    बहुत सुंदर ग़ज़ल है। मत्ले में तो आचार्य जी ने सुधार कर ही दिया है। दाद कुबूल हो

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  13. Sanjeev Sahab, Bahut khoob, Bahut umdaa ghazal di hai aapne, Aur woh bhi shudh hindi mein, Badhaayi..

    ये भारत है, महाभारत समय ने ही कराया है.
    लड़ा सत से असत सिर असत का नीचा कराया है..



    Surinder Ratti

    Mumbai

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