सोमवार, 21 मार्च 2011

मुक्तिका: गलत मुहरा -- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:                                                                          

गलत मुहरा

संजीव 'सलिल'
*
सही चहरा.
गलत मुहरा..

सिन्धु उथला,
गगन गहरा..

साधुओं पर
लगा पहरा..

राजनय का
चरित दुहरा..

नर्मदा जल
हहर-घहरा..

हौसलों की
ध्वजा फहरा..

चमन सूखा
हरा सहरा..

ढला सूरज
चढ़ा कुहरा..

पुलिसवाला
मूक-बहरा..

बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा ..

****************

3 टिप्‍पणियां:

  1. /बहे पत्थर
    'सलिल' ठहरा/

    /चमन सूखा
    हरा सहरा/

    (गहरे भाव हैं. सुन्दर अभिव्यक्ति.)

    /हौसलों की
    ध्वजा फहरा/ (क्या यह पंक्ति व्याकरण की दृष्टि से सही है? छात्र का ज्ञान बढ़ाएं.)

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  2. बहे पत्थर
    'सलिल' ठहरा ..

    वाह क्या अंदाज है,

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  3. धन्यवाद.
    बिलकुल सही है. देखिये:

    विजय पताका फहरा.
    भारत का झंडा फहरा.
    हौसलों की ध्वजा फहरा.

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