होली गीत:
स्व. शांति देवी वर्मा
होली खेलें सिया की सखियाँ
स्व. शांति देवी वर्मा
होली खेलें सिया की सखियाँ
होली खेलें सिया की सखियाँ,
जनकपुर में छायो उल्लास....
जनकपुर में छायो उल्लास....
रजत कलश में रंग घुले हैं, मलें अबीर सहास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
रंगें चीर रघुनाथ लला का, करें हास-परिहास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
एक कहे: 'पकडो, मुंह रंग दो, निकरे जी की हुलास.'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
दूजी कहे: 'कोऊ रंग चढ़े ना, श्याम रंग है खास.'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
सिया कहें: ' रंग अटल प्रीत का, कोऊ न अइयो पास.'
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
गौर सियाजी, श्यामल हैं प्रभु, कमल-भ्रमर आभास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
'शान्ति' निरख छवि, बलि-बलि जाए, अमिट दरस की प्यास.
होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेलें सिया की सखियाँ...
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होली खेलें चारों भाई
होली खेलें चारों भाई, अवधपुरी के महलों में...
अंगना में कई हौज बनवाये, भांति-भांति के रंग घुलाये.
पिचकारी भर धूम मचाएं, अवधपुरी के महलों में...
राम-लखन पिचकारी चलायें, भरत-शत्रुघ्न अबीर लगायें.
लख दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में...
लख दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में...
सिया-श्रुतकीर्ति रंग में नहाई, उर्मिला-मांडवी चीन्ही न जाई.
हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में...
हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में...
कौशल्या कैकेई सुमित्रा, तीनों माता लेंय बलेंयाँ.
पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में...
पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में...
मंत्री सुमंत्र भेंटते होली, नृप दशरथ से करें ठिठोली.
बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में...
बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में...
दास लाये गुझिया-ठंडाई, हिल-मिल सबने मौज मनाई.
ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में...
ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में...
दस दिश में सुख-आनंद छाया, हर मन फागुन में बौराया.
'शान्ति' संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
***********'शान्ति' संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
जनकपुरी और अवधपुरी की होली के इतने सजीव चित्रण पर ह्रदय मंत्रमुग्ध सा है.
जवाब देंहटाएंऐसा लगता है मानों इन गीतों के माध्यम से 'माता जी' स्वयं आशीर्वाद दे रहीं हों.
पूज्यनीया माता जी और उनकी लेखनी को शत-शत नमन.
आज जाकर मालूम पड़ा कि आचार्य जी की लेखनी में इतना बल क्यों है..
जय हो!
sahi kaha aapne ganesh bhaiya agar agar kisi bhi aayojan ka shubharambh bujurgon ke haathon se ho to sab badhiya hota hai.....waise rachna bahut hi achhi hai.....badhai ho aacharya jee ko......aur admin jee ko dhanybaad yahan prastut karne ke liye
जवाब देंहटाएंआचार्य संजीव 'सलिल जी,
जवाब देंहटाएंहोली के पावन अवसर पर आयोजित इस महापर्व में यह रचनाएँ माता जी के प्रसाद के रूप में हम सब को मिली हैं, कोटिश: धन्यवाद आपका !
आशीर्वाद स्वरुप हैं ये रचनाएँ |
जवाब देंहटाएंसच है त्यौहार हमारी परम्पराओं का हिस्सा हैं और इनमे हमारे देवी देवताओं का वंदन और उनका जीवन वर्णन गीतों का हिस्सा हैं |
इन गीतों को पढ़ कर गाँव में गाये जाने वाले गीतों की यादें ताज़ा हो आयीं |
आचार्य जी की यह भेंट अनुपम और संग्रहनीय है |
mata ji lekhani aur sajiv rachana sab ko naman
जवाब देंहटाएंपूजनीय माता जी के आशीर्वाद स्वरुपी इन रचनाओं को पाकर धन्य हो गया |
जवाब देंहटाएंभगवान राम के समय की होली का सजीव चित्रण कर दिया है|
आचार्य जी बहुत बहुत धन्यवाद|
सबसे बड़ी ख़ुशी की बात यह की ये दोनों रचनाएं आचार्य जी की माता जी की है, जिन्हें पढने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ|
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचनाएं पढ़कर मै अपने आपको भाग्यशाली एवं गौरवान्वित महसूस करता हु|
आदरणीय 'सलिल जी '
जवाब देंहटाएंमाता जी की रची दोनों ही रचनाएँ मनभावन हैं..
ये आपका स्नेह और बड़प्पन है की आपने माता जी का आशीष हम सभी से सांझा किया .
बहुत बहुत धन्यवाद
Mata ji kee rachnaaye bemisaal hai.. unke liye sampurn shradha ke saath Salil ji ko dhanyvaad ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचनाएँ निकली हैं माताजी की कलम से।
जवाब देंहटाएंइनको हम सब के साथ साझा करने हेतु आचार्य जी का आभार।
संजीव 'सलिल' भाई.. दोनो रचनाओं को पढ़ कर यूँ लग रहा है कि माता जी अभी भी सामने ही खड़ी है
जवाब देंहटाएंऔर हम भंग पिए हुए नालायक़ बच्चों को झूठा गुस्सा दिखाकर गुझिया और सेव चूड़ा की थाली
सामने रख रहीं हैं...
दोनो रचनाओं को पढ़कर ऐसा महसूस हो रहा है कि कुर्ता पज़ामा रंग से गीला हुआ है
और गुलाल का खुमार सर पर सवार है...
होली का पूरा माहौल किसी चलचित्र की तरह दिख रहा है इन रचनाओं में...
माँ अभी भी है......
Manish Seth - holi ka manmohak geet.
जवाब देंहटाएंप्रवीण पाण्डेय …
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर होली गीत।
मनीष सेठ …
जवाब देंहटाएंholi ka mamohak geet.bahut sunder prastuti.
Udan Tashtari …
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!!!!!!!