बुधवार, 9 मार्च 2011

नवगीत: तुमने खेली हमसे होली -------संजीव 'सलिल'

नवगीत:                                                                    

तुमने खेली हमसे होली

संजीव 'सलिल'
*
तुमने खेली हमसे होली
अब हम खेलें.
अब तक झेला बहुत
न अब आगे हम झेलें...
*
सौ सुनार की होती रही सुनें सच नेता.
अब बारी जनता की जो दण्डित कर देता..
पकड़ा गया कलेक्टर तो क्यों उसे छुडाया-
आम आदमी का संकट क्यों नजर न आया?
सत्ता जिसकी संकट में
हम उसे ढकेलें...
*
हिरनकशिपु तुम, जन प्रहलाद, होलिका अफसर.
मिले शहादत तुमको अब आया है अवसर.
जनमत का हरि क्यों न मार ही डाले तुमको?
जनगण को ही रहे मराते हो तुम अक्सर.
जो रिश्वत ले,
शीश कटाये वही अकेले...
*
रंग-अबीर न आज चाहिए, रक्त-धार हो.
सीमा पर मरने अफसर-नेता तयार हो.
सुख-सुविधा जो भोग रहे उसकी कीमत दो-
नगद रहे हर सौदा ना कुछ भी उधार हो.
वीर शहीदों की समाधि पर
हों अब मेले...
*********

11 टिप्‍पणियां:

  1. निर्मला कपिला …
    १५ मार्च २०११ १०:२१ पूर्वाह्न

    अज की हालात पर उमडा आक्रोश और ललकार ! बहुत अच्छी ऊर्जा देती रचना के लिये आचार्य जी को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी …
    १५ मार्च २०११ २:११ अपराह्न

    होली के माध्यम से बहुत गहरे प्रश्न किये हैं |

    एक सटीक और तीक्ष्ण रचना के लिए आचार्यजी को बढ़ायी |


    अवनीश तिवारी

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  3. डॉ॰ मोनिका शर्मा …
    १६ मार्च २०११ १२:३७ पूर्वाह्न

    सुंदर प्रासंगिक होली की रचना ...... सुंदर आव्हान और विद्रूपताओं पर कटाक्ष लिए ...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. गीता पंडित (शमा) …
    १७ मार्च २०११ ११:१२ अपराह्न

    मन का आक्रोश पूरी तरह से उभर कर आया है...
    अच्छा लगा...
    कम से कम गीत कविता में तो मन को मूक नहीं होना पडेगा....


    सुंदर.... आभार आपका ...
    नमन...

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  5. आचार्य जी को होली पर प्रणाम करता हूँ |
    होली के रंग में आपके नवगीत का रंग अदभुत | वाह ||

    जवाब देंहटाएं
  6. तुमने खेली हमसे होली
    अब हम खेलें.
    अब तक झेला बहुत
    न अब आगे हम झेलें...



    नया रंग भर दिया है सलिल जी आपने सामाजिक वास्तविकता की होली का.

    होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं

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  7. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) …रविवार, मार्च 27, 2011 1:32:00 pm

    आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!
    २० मार्च २०११ ६:३९ पूर्वाह्न

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  8. राजकुमार ग्वालानी …रविवार, मार्च 27, 2011 1:33:00 pm

    रंगों की चलाई है हमने पिचकारी
    रहे ने कोई झोली खाली
    हमने हर झोली रंगने की
    आज है कसम खाली

    होली की रंग भरी शुभकामनाएँ
    २० मार्च २०११ ९:२० पूर्वाह्न

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  9. प्रवीण पाण्डेय …रविवार, मार्च 27, 2011 1:34:00 pm

    उत्साह भरते होली के रंग।
    २० मार्च २०११ ३:३९ अपराह्न

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रवीण पाण्डेय …रविवार, मार्च 27, 2011 1:34:00 pm

    उत्साह भरते होली के रंग।
    २० मार्च २०११ ३:३९ अपराह्न

    जवाब देंहटाएं
  11. GirishMukul …

    वाह शलिल भैया

    जवाब देंहटाएं