नवगीत:
तुमने खेली हमसे होली
संजीव 'सलिल'
*
तुमने खेली हमसे होली
अब हम खेलें.
अब तक झेला बहुत
न अब आगे हम झेलें...
*
सौ सुनार की होती रही सुनें सच नेता.
अब बारी जनता की जो दण्डित कर देता..
पकड़ा गया कलेक्टर तो क्यों उसे छुडाया-
आम आदमी का संकट क्यों नजर न आया?
सत्ता जिसकी संकट में
हम उसे ढकेलें...
*
हिरनकशिपु तुम, जन प्रहलाद, होलिका अफसर.
मिले शहादत तुमको अब आया है अवसर.
जनमत का हरि क्यों न मार ही डाले तुमको?
जनगण को ही रहे मराते हो तुम अक्सर.
जो रिश्वत ले,
शीश कटाये वही अकेले...
*
रंग-अबीर न आज चाहिए, रक्त-धार हो.
सीमा पर मरने अफसर-नेता तयार हो.
सुख-सुविधा जो भोग रहे उसकी कीमत दो-
नगद रहे हर सौदा ना कुछ भी उधार हो.
वीर शहीदों की समाधि पर
हों अब मेले...
*********
तुमने खेली हमसे होली
संजीव 'सलिल'
*
तुमने खेली हमसे होली
अब हम खेलें.
अब तक झेला बहुत
न अब आगे हम झेलें...
*
सौ सुनार की होती रही सुनें सच नेता.
अब बारी जनता की जो दण्डित कर देता..
पकड़ा गया कलेक्टर तो क्यों उसे छुडाया-
आम आदमी का संकट क्यों नजर न आया?
सत्ता जिसकी संकट में
हम उसे ढकेलें...
*
हिरनकशिपु तुम, जन प्रहलाद, होलिका अफसर.
मिले शहादत तुमको अब आया है अवसर.
जनमत का हरि क्यों न मार ही डाले तुमको?
जनगण को ही रहे मराते हो तुम अक्सर.
जो रिश्वत ले,
शीश कटाये वही अकेले...
*
रंग-अबीर न आज चाहिए, रक्त-धार हो.
सीमा पर मरने अफसर-नेता तयार हो.
सुख-सुविधा जो भोग रहे उसकी कीमत दो-
नगद रहे हर सौदा ना कुछ भी उधार हो.
वीर शहीदों की समाधि पर
हों अब मेले...
*********
निर्मला कपिला …
जवाब देंहटाएं१५ मार्च २०११ १०:२१ पूर्वाह्न
अज की हालात पर उमडा आक्रोश और ललकार ! बहुत अच्छी ऊर्जा देती रचना के लिये आचार्य जी को बधाई।
बेनामी …
जवाब देंहटाएं१५ मार्च २०११ २:११ अपराह्न
होली के माध्यम से बहुत गहरे प्रश्न किये हैं |
एक सटीक और तीक्ष्ण रचना के लिए आचार्यजी को बढ़ायी |
अवनीश तिवारी
डॉ॰ मोनिका शर्मा …
जवाब देंहटाएं१६ मार्च २०११ १२:३७ पूर्वाह्न
सुंदर प्रासंगिक होली की रचना ...... सुंदर आव्हान और विद्रूपताओं पर कटाक्ष लिए ...बधाई
गीता पंडित (शमा) …
जवाब देंहटाएं१७ मार्च २०११ ११:१२ अपराह्न
मन का आक्रोश पूरी तरह से उभर कर आया है...
अच्छा लगा...
कम से कम गीत कविता में तो मन को मूक नहीं होना पडेगा....
सुंदर.... आभार आपका ...
नमन...
आचार्य जी को होली पर प्रणाम करता हूँ |
जवाब देंहटाएंहोली के रंग में आपके नवगीत का रंग अदभुत | वाह ||
तुमने खेली हमसे होली
जवाब देंहटाएंअब हम खेलें.
अब तक झेला बहुत
न अब आगे हम झेलें...
नया रंग भर दिया है सलिल जी आपने सामाजिक वास्तविकता की होली का.
होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं
आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं२० मार्च २०११ ६:३९ पूर्वाह्न
रंगों की चलाई है हमने पिचकारी
जवाब देंहटाएंरहे ने कोई झोली खाली
हमने हर झोली रंगने की
आज है कसम खाली
होली की रंग भरी शुभकामनाएँ
२० मार्च २०११ ९:२० पूर्वाह्न
उत्साह भरते होली के रंग।
जवाब देंहटाएं२० मार्च २०११ ३:३९ अपराह्न
उत्साह भरते होली के रंग।
जवाब देंहटाएं२० मार्च २०११ ३:३९ अपराह्न
GirishMukul …
जवाब देंहटाएंवाह शलिल भैया