गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

बिदाई गीत: अलविदा दो हजार दस... संजीव 'सलिल'

बिदाई गीत:
                                                                                                     
अलविदा दो हजार दस...

संजीव 'सलिल'
*
अलविदा दो हजार दस
स्थितियों पर
कभी चला बस
कभी हुए बेबस.
अलविदा दो हजार दस...

तंत्र ने लोक को कुचल
लोभ को आराधा.
गण पर गन का
आतंक रहा अबाधा.
सियासत ने सिर्फ
स्वार्थ को साधा.
होकर भी आउट न हुआ
भ्रष्टाचार पगबाधा.
बहुत कस लिया
अब और न कस.
अलविदा दो हजार दस...

लगता ही नहीं, यही है
वीर शहीदों और
सत्याग्रहियों की नसल.
आम्र के बीज से
बबूल की फसल.
मंहगाई-चीटी ने दिया 
आवश्यकता-हाथी को मसल.
आतंकी-तिनका रहा है
सुरक्षा-पर्वत को कुचल.
कितना धंसेगा?
अब और न धंस.
अलविदा दो हजार दस...
 
*******************

19 टिप्‍पणियां:

  1. ajit gupta :

    सलिल जी!
    गीत बहुत अच्‍छा लगा।

    आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएं।

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  2. धन्यवाद.

    अमित अजित हो सकें कभी हम.
    दे उजियारा, मिटा सकें तम.
    प्रभु से इतनी विनत प्रार्थना-
    सबको सुख हो 'सलिल' अधिकतम.

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  3. शब्दों का इस्तेमाल तो कमाल का है..बहुत खूब क्या विदाई दी है २०१० को !!!!

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  4. विदाई तो कर दी 'सलिल' जी साथ ही कटु सत्य को सामने भी खड़ा कर दिया आपने :) सबसे सुंदर लगी ये पंक्तियाँ -

    लगता ही नहीं, यही है

    वीर शहीदों और

    सत्याग्रहियों की नसल.

    आम्र के बीज से

    बबूल की फसल.

    जवाब देंहटाएं
  5. shikha varshney …

    सलिल जी ! एकदम सटीक और सार्थक गीत बहुत ही अच्छा लगा .
    आपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.

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  6. \संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

    बहुत अच्छा गीत ....

    नव वर्ष की शुभकामनायें

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  7. रानीविशाल ने कहा…

    बहुत ही सुन्दर गीत ...आभार
    हर पल यही है दिल की दुआ आपके लिए
    खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
    महकी हुई उमंग भरी हो हर इक सुबह
    चाहत के गुल से पथ हो सजा आपके लिए

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  8. Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

    नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं ! यह नव वर्ष आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करे ।

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  9. Gita :
    "आदरणीय सलील जी,
    आपको सपरिवार नव वर्ष की देर सारी शुभ कामनाएँ"

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  10. नव वर्ष की मंगलकामनायें!
    सादर
    इला

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  11. shriprakash shukla :


    मान्यवर,
    वर्ष नया मंगलमय हो,
    सुलझें गुल्थियाँ वरष दस की
    जन जन में सद्भाव बढे,
    घटे बिषमता आपस की
    सादर
    श्रीप्रकाश शुक्ल
    --
    Web:http://bikhreswar.blogspot.com/

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  12. हिमांशु कुमार पाण्डेय ✆ ekavitaशनिवार, जनवरी 01, 2011 8:49:00 pm

    सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

    हिमांशु

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  13. Priyanath :
    "आपको भी नववर्ष मंगलमय हो....आपको व आपके परिवार को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ."

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  14. Aditya :
    "navvarsh ki hardik shubhkaamnaaye..............aapke pure pariwaar ko meri aur se"

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  15. Sharad Chaturvedi
    Sharad :
    "घाटी में फिर से फूल खिलें
    फिर स्र्के शिकारे तैर चलें
    बह उठे प्रेम की मन्दाकिनि
    हिम-शिखर हिमालय से पिघलें।
    सोनी मचले, महिबाल चले
    राँझे की हीर करे नर्तन
    नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन !

    बहुत बहुत शुभकामनाये आपको और आपके परिवार को
    भगवान सारी खुशियाँ और तर्रक्की मिले इश नए साल मै.....!!!"

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  16. ajit gupta ✆

    सलिलजी
    कल आपकी कक्षाओं का स्‍मरण हो रहा था। मन कर रहा है कि आप ऐसे ही अन्‍य कक्षाएं लेते रहें। मैंने कल दोहे का सार जो अपकी कक्षाओं से ही सीखा था, को अपने ब्‍लाग पर पोस्‍ट किया था। कई लोगों ने दोहा-ज्ञान के प्रति रुचि दिखायी है। आपकी सदैव आभारी रहूंगी।

    गंगा जल बन जाय सलिल सब

    दूषित उर अब नहीं रहे मम

    मन में हरदम यही भावना

    गुरुजन सबको मिले आप सम।



    अजित गुप्‍ता

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  17. धन्यवाद.

    अमित अजित हो सकें कभी हम.
    दे उजियारा, मिटा सकें तम.
    प्रभु से इतनी विनत प्रार्थना-
    सबको सुख हो 'सलिल' अधिकतम.

    जवाब देंहटाएं
  18. Vinod Upadhyay

    commented on your note "बिदाई गीत: अलविदा दो &#2...".

    "आमीन!!!"

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