शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

बाल गीत: काम करें... संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

काम करें...

संजीव 'सलिल'
*












*
हम हिन्दी में काम करें.
जग में ऊँचा नाम करें..

मिलें, कहें- 'जय हिंद' सखे..
बिछुड़ें तो 'जय राम' कहें..

आलस करें न पल भर भी.
सदा समय पर काम करें..

भेद-भाव सब बिसराएँ.
भाई-चारा आम करें..

'माँ', मैया, माता' बोलें.
ममी, न मम्मी,माम करें..

क्रोध, ईर्ष्या, स्वार्थ तजें.
जीवन को सुख-धाम करें..

'सलिल'- साधना सफल तभी.
कोशिश आठों याम करें..

**************************
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर बाल गीत है, सलिल जी.

    --ख़लिश

    जवाब देंहटाएं
  2. महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’शुक्रवार, सितंबर 10, 2010 11:13:00 pm

    सलिल जी,

    आपकी बालोचित कविता से प्रेरणा पा कर वानर-प्रकृति अनुसार नकल करने की हूक उठी तो निम्न का प्रादुर्भाव हुआ-- १० सितम्बर २०१०

    आओ बच्चो काम करें
    नाहक न आराम करें

    दिन भर मेहनत करके फिर
    संध्या को विश्राम करें

    करें सदा इसकी सेवा
    भारत माँ का नाम करें

    हड़तालों से दूर रहें
    कभी न चक्का जाम करें

    बिना रुके चलते जाएं
    ख़लिश सुबह से शाम करें.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ... वाह... मजा आ गया.
    आपको समर्पित चंद पंक्तियाँ.

    घर को तीरथ धाम करें.
    काम सदा निष्काम करें..

    कोशिश-मेहनत को पूजें.
    आलस को गुमनाम करें..

    कथनी-करनी एक रहे.
    जीवन को पैगाम करें..

    उगते सूरज को पूजें.
    ढलते रवि संग शाम करें..

    खलिश न मन में पलने दें.
    किस्सा सभी तमाम करें..

    धूप-छाँव से गले मिलें.
    मनचाहा अंजाम करें..

    'सलिल' बनें शत कमल खिला
    सबको विनत प्रणाम करें..


    ****************************
    दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सार्थक बालगीत!!

    शकुन्तला बहादुर

    जवाब देंहटाएं
  5. आलस करें न पल भर भी.
    सदा समय पर काम करें..
    बिलकुल सही शिक्षा
    अनुष्का

    जवाब देंहटाएं