रविवार, 29 अगस्त 2010

मुक्तिका: मछलियाँ -----संजीव 'सलिल'


मछलियाँ


मुक्तिका

मछलियाँ

संजीव 'सलिल'

*
कामनाओं की तरह, चंचल-चपल हैं मछलियाँ.
भावनाओं की तरह, कोमल-सबल हैं मछलियाँ..

मन-सरोवर-मथ रही हैं, अहर्निश ये बिन थके.
विष्णु का अवतार, मत बोलो निबल हैं मछलियाँ..

मनुज तम्बू और डेरे, बदलते अपने रहा.
सियासत करती नहीं, रहतीं अचल हैं मछलियाँ..

मलिनता-पर्याय क्यों मानव, मलिन जल कर रहा?
पूछती हैं मौन रह, सच की शकल हैं मछलियाँ..

हो विदेहित देह से, मानव-क्षुधा ये हर रहीं.
विरागी-त्यागी दधीची सी, 'सलिल' है मछलियाँ..

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दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम


Virtual Pet Fish

8 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय आचार्य सलिल ,


    शापित है मछली की जाति
    एक जगह वो टिक ना पाती |
    प्यास जभी लगती है उनको
    पानी से ऊपर आ जातीं |
    चंचल चपल तभी कहलातीं |
    अचल कभी भी ना हो पातीं ||
    मन भी तो मछली की भाँती
    पलपल है चंचल दिन राती
    कहाँ सहज हो पाता है यह,
    माया इसको सहज लुभाती ||
    क्षुधा मनुज की दुर्बलता है
    पाप पुण्य इससे निकला है
    यही क्षुधा मछली को पकडे
    अंकुश में इसको जकड़ा है |


    Your's ,

    Achal Verma

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  2. आदरणीय सलिल जी,
    ये बहुत सुन्दर:

    कामनाओं की तरह, चंचल-चपल हैं मछलियाँ.
    भावनाओं की तरह, कोमल-सबल हैं मछलियाँ..


    ..सादर शार्दुला

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  3. sanjiv ji
    namaskar
    aapka to jawab hi nahi hai bahut sundar bahut hi sundar kavita
    kusum

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  4. आदरणीय सलिल जी,
    आपकी मुक्तिका रचना अति मन भावन लगी विशेष रूप से निम्न पद मन मुग्ध कर गए .

    मलिनता-पर्याय क्यों मानव, मलिन जल कर रहा?
    पूछती हैं मौन रह, सच की शकल हैं मछलियाँ..

    हो विदेहित देह से, मानव-क्षुधा ये हर रहीं.
    विरागी-त्यागी दधीची सी, 'सलिल' है मछलियाँ..

    मछलियों के लिए दधीचि का पर्याय बहुत उपयुक्त लगा . सम्पूर्ण रचना ह़ी सुन्दर है बधाई
    सादर
    श्रीप्रकाश शुक्ल

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  5. सलिल जी,
    मत्स्य-जीवन का सुन्दर एवं आशापूर्ण वर्णन है. बधाई.
    महेश चन्द्र द्विवेदी

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  6. वाह!
    निम्न विशेष भाए--


    कामनाओं की तरह, चंचल-चपल हैं मछलियाँ.
    भावनाओं की तरह, कोमल-सबल हैं मछलियाँ..

    हो विदेहित देह से, मानव-क्षुधा ये हर रहीं.
    विरागी-त्यागी दधीची सी, 'सलिल' है मछलियाँ..

    --ख़लिश

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  7. आ० आचार्य जी ,
    अन्योक्ति का भाव लिये अति सुन्दर गीत , बधाई !
    कमल

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  8. लम्स
    bahut khoob Salil ji...behtreen.

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