नानी-नातिन
पूर्णिमा वर्मन-संजीव 'सलिल'
*
*
नानी-नातिन मस्ती में,
मस्ती मिल गई सस्ती में!
लोटपोट कर बात हुई,
हँसते-हँसते रात हुई!
सोना भूल गईं दोनों,
खेल-खेल में प्रात हुई!
दोनों की मनमानी की,
ख़बर हो गई बस्ती में!
नानी ने लोरी गायी,
नातिन के मन को भायी!
मम्मी की परवाह नहीं,
चुन-चुन चिड़िया भी आयी!
अँखियाँ बरबस बंद हुईं,
अनचाहे ही पस्ती में!
********************टिप्पणी : सुप्रसिद्ध साहित्यकार पूर्णिमा वर्मन ने अपनी नातिन के लिये एक अंतरे का शिशु गीत रचा. यह सरस पायस और बज पर प्रकशित हुआ. इसका दूसरा अंतरा संजीव 'सलिल' ने पूरा किया.दिव्य नर्मदा पूर्णिमा जी और सरस पायस के प्रति आभारी है.
ओह कितनी प्यारी!
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया:)