सोमवार, 12 जुलाई 2010

अवधी हाइकु सलिला: संजीव वर्मा 'सलिल'

अवधी हाइकु सलिला:

संजीव वर्मा 'सलिल'
*









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सुखा औ दुखा
रहत है भइया
घर मइहाँ.
*
घाम-छांहिक
फूला फुलवारिम
जानी-अंजानी.
*
कवि मनवा
कविता किरनिया
झरझरात.
*
प्रेम फुलवा
ई दुनियां मइहां
महकत है.
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रंग-बिरंगे
सपनक भित्तर
फुलवा हन.
*
नेह नर्मदा
हे हमार बहिनी
छलछलात.
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अवधी बोली
गजब के मिठास
मिसरी नाई.
*
अवधी केर
अलग पहचान
हृदयस्पर्शी.
*
बेरोजगारी
बिखरा घर-बार
बिदेस प्रवास.
*
बोली चिरैया
झरत झरनवा
संगीत धारा.
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

4 टिप्‍पणियां:

  1. रंग-बिरंगे
    सपनक भित्तर
    फुलवा हन.
    ..............................बहुत बढ़िया। सादर।। अवधि अउर भोजपुरी में बहुते समानता बा....लिखल करीं। सादर धन्यवाद।।

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  2. अवधी में सुन्दर हाइकु लिखने हेतु बधाई सलिल जी.
    महेश चन्द्र द्विवेदी

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  3. अवधी केर
    अलग पहचान
    हृदयस्पर्शी.
    --- वाह सलिल जी , क्या गजब प्रस्तुति है !
    मेरे लिए तो संग्रहणीय ही ..
    मैं तो अवधी में ब्लॉग भी लिखता हूँ ..
    आज अवधी में पहली बार हाइकू देख रहा हूँ ..
    बड़ी खुशी हुई ..आभार !

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  4. अद्भुत! अनिर्वचनीय! अप्रतिम!
    मेरी जानकारि में अवधी में हाइकु का प्रथम सार्वजनिक प्रयास।
    जय हो!

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