तेवरी:
संजीव 'सलिल'
हुए प्यास से सब बेहाल.
सूखे कुएँ नदी सर ताल..
गौ माता को दिया निकाल.
श्वान रहे गोदी में पाल..
चमक-दमक ही हुई वरेण्य.
त्याज्य सादगी की है चाल..
शंकाएँ लीलें विश्वास.
नचा रहे नातों के व्याल..
कमियाँ दूर करेगा कौन?
बने बहाने हैं जब ढाल..
सुन न सके मौन कभी आप.
बजा रहे आज व्यर्थ गाल..
उत्तर मिलते नहीं 'सलिल'.
अनसुलझे नित नए सवाल..
********************
aapke kafia kee ridam wah subhan allaah
जवाब देंहटाएंबच्चा कभी पधारो हमरे ब्लॉग पे
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रवाहमय गीत!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत, बधाई सलिल जी को, नमन उनकी कलम को.
नमन सभी को दे रहे, जो मुझको उत्साह.
जवाब देंहटाएंगुण ग्राहकता को नमन, दिल से रही सराह..