गीतिका
संजीव 'सलिल'
वक्त और हालात की बातें
खालिस शह औ' मात की बातें..
दिलवर सुन ले दिल कहता है .
अनकहनी ज़ज्बात की बातें ..
मिलीं भरोसे को बदले में,
महज दगा-छल-घात की बातें..
दिन वह सुनने से भी डरता
होती हैं जो रात की बातें ..
क़द से बहार जब भी निकलो
मत भूलो औकात की बातें ..
खिदमत ख़ुद की कर लो पहले
तब सोचो खिदमात की बातें ..
'सलिल' मिले दीदार उसी को
जो करता है जात की बातें..
***************
Pahli bar apke blog par aaya hu orkut ke jariye ab aata rahugna very nice post
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंkanhaiyakrishna@hotmail.com
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
छोटे बहर की बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली है.
मेरी तरफ से बहुत -बहुत धन्यवाद स्वीकारें
-कृष्ण कन्हैया