नव वर्ष पर नवगीत
संजीव 'सलिल'
*
महाकाल के महाग्रंथ का
नया पृष्ठ फिर आज खुल रहा....
*
वह काटोगे,
जो बोया है.
वह पाओगे,
जो खोया है.
सत्य-असत, शुभ-अशुभ तुला पर
कर्म-मर्म सब आज तुल रहा....
*
खुद अपना
मूल्यांकन कर लो.
निज मन का
छायांकन कर लो.
तम-उजास को जोड़ सके जो
कहीं बनाया कोई पुल रहा?...
*
तुमने कितने
बाग़ लगाये?
श्रम-सीकर
कब-कहाँ बहाए?
स्नेह-सलिल कब सींचा?
बगिया में आभारी कौन गुल रहा?...
*
स्नेह-साधना करी
'सलिल' कब.
दीन-हीन में
दिखे कभी रब?
चित्रगुप्त की कर्म-तुला पर
खरा कौन सा कर्म तुल रहा?...
*
खाली हाथ?
न रो-पछताओ.
कंकर से
शंकर बन जाओ.
ज़हर पियो, हँस अमृत बाँटो.
देखोगे मन मलिन धुल रहा...
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नव वर्ष शुभेच्छा |
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
nav varsh ki shubh kamnayen
जवाब देंहटाएंआप और आपके परिवार के लिए नव वर्ष की शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर,
सुधा, ओम, विभु ढींगरा
आ० आचार्य जी,
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना | " शुभ सत चित आनंद है, शुभ नाद लय स्वर छंद है "
सत्य को उजागर करती भाव भरी पंक्ति |
आपकी रचना को नमन |
कमल
Sanjeev ji,
जवाब देंहटाएंHAPPY NEW YEAR!!
With best wishes
Shanno
I EXPRESS MY SINCERE WISHES FOR A VERY HAPPY AND PROSPEROUS NEW YEAR
जवाब देंहटाएं2010.
ramji giri
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखनी है आपकी,बन्धु...
बवाल ने :
जवाब देंहटाएंकर्म कर्म सब आज तुल रहा।
आदरणीय सलिल जी,
सच में बहुत ही सुन्दर लगा नव वर्ष का नव गीत।
Purnima Varman ✆
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सलिल जी, आपकी दो रचनाएँ नव वर्ष विशेषांक में सम्मिलित कर रहे हैं।
आ. आचार्य जी ,
जवाब देंहटाएंनव-वर्ष का शुभ-मंगलाचरण आपने प्रस्तुत कर दिया है. काल-कथा का समारंभ भी अनुरूप हो ;और हम समस्त-जन ,जो इस काल-खंड के पात्र हैं अपनी भूमिका का सामर्थ्यनुसार समुचित निर्वाह कर सकें ऐसी क्षमता और मनोबल वह परमशक्ति हमें प्रदान करती रहे - यही कामना अंतरमन में उदित हो रही है ।
गुरुजनों का आशीष सदा प्राप्त होता रहे !
सादर ,
प्रतिभा.
naye varsh ka
जवाब देंहटाएंhar nootan din
amal-dhaval yash
keerti vimal de
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada .blogspot. com
आदरणीय आचार्य जी
जवाब देंहटाएंआपको भी अनेक शुभकामनायें!
सादर
अमित