पूज्य मातुश्री स्व. शांति देवि जी की प्रथम बरसी पर शोकगीत:
नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ?
संजीव 'सलिल'
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
छीन लिया क्यों
माँ को तुमने?
कितना तुम्हें
मनाया हमने?
रोग मिटा कर दो
निरोग पर-
निर्मम उन्हें
उठाया तुमने.
करुणासागर!
दिया न साथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
मैया तो थीं
दिव्य-पुनीता.
मन रामायण,
तन से गीता.
कर्तव्यों को
निश-दिन पूजा.
अग्नि-परीक्षा
देती सीता.
तुम्हें नवाया
निश-दिन माथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
हरी! तुमने क्यों
चाही मैया?
क्या अब भी
खेलोगे कैया?
दो-दो मैया
साथ तुम्हारे-
हाय! डुबा दी
क्यों फिर नैया?
उत्तर दो मैं
जोडूँ हाथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
Udan Tashtari, Canada …
जवाब देंहटाएंमाता जी की पुण्य आत्मा को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!
matri naman.
जवाब देंहटाएंमाता जी को मेरी श्रधांजलि .
जवाब देंहटाएंदिवंगत आत्मा को नमन
जवाब देंहटाएंमाता जी को विन्म्र श्रद्धाँजली
जवाब देंहटाएंkavita padhkar bhav vihval ho gayee
जवाब देंहटाएंbahut hi bhav poorn laga
maine tippani di par jyada kuchh nahii likh payee
जबलपुर-ब्रिगेड ...
जवाब देंहटाएंमातु श्री को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है
बवाल ...
जवाब देंहटाएंमाताजी को हमारी ओर से श्रद्धांजली।
माताजी को विनम्र श्रद्धांजली.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बधाई स्वीकारें इस सुन्दर प्रस्तुति पर.
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक कर गयी आपकी यह कृति.
मेरी एक कविता 'आज भी' एक माँ पर ही है पर वो माँ की वेदना व्यक्त कर रही है. समय मिले तो जरूर देखें.
नाथ मुझे क्यों किया अनाथ,
जवाब देंहटाएंछोटी सी कविता में लंबी बात।