: तेवरी :
संजीव 'सलिल'
दिल ने हरदम चाहे फूल.
पर दिमाग ने बोये शूल..
मेहनतकश को कहें गलत.
अफसर काम न करते भूल..
बहुत दोगली है दुनिया
तनिक न भाते इसे उसूल..
पैर मत पटक नाहक तू
सर जा बैठे उड़कर धूल..
बने तीन के तेरह कब?
डूबा दिया अपना धन मूल..
मँझधारों में विमल 'सलिल'
गंदा करते हम जा कूल..
धरती पर रख पैर जमा
'सलिल' न दिवास्वप्न में झूल..
****************
swagat hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर. सही लिखा आपने.....यह दुनिया है ही ऐसी. किस-किस की शिकायत की जाये?
जवाब देंहटाएं