गीत
अमन दलाल
जिन्दगी के नए रंग छान्टेंगे
गम सबके जब संग बाँटेंगे....
ये ग़म के बदल जीवन में
रोज आने जाने हैं.
फिर भला दीपो में जलते,
कयू नादान [नादाँ] परवाने हैं.
कोसो न अपनी किस्मत को,
रोशन होने दो मेहनत को,
अपने इरादों की रहमत को,
ये बादल खुद-ब-खुद छाटेंगे,
गम सबके जब संग बाँटेंगे.....
कहोगे गर तुम ग़म अपने,
हो कोई मुश्किल या हो सपने
हम चलेंगे लेकर वहां पर
सपने बनते हो जहाँ पर,
भर देंगे नए रंग नस्लों में.
खुशिया महकेगी फसलो में,
जो बोयेंगे,वो काटेंगे,
ग़म सबके जब संग बाँटेंगे....
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जीवन के नए रंग छान्टेंगे.
अमन अमन के रंग से, महकेगा यह देश.
जवाब देंहटाएंचमन ख़ुशी से हो भरा, खुशियाँ मिलें अशेष.
badhiya
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