मालवी गीत
ललिता रावल, इन्दौर
फाग घणों पोमायो हे
कली कचनार कन्हेर चटकी,
फाग घणों पोमायो हे।
मउआ ढाक कांस फुल्या,
बसंत्या अगवानी में।
गाँव गली घर अंगणे
पवन्यो बौरायो हे।
आम्बु-जाम्बु मोर पाक्या
रात सुवाली सजई हे।
भोलू की थकान भागी,
रामी रंग पकावे हे।
गोकुल-बिरज धूम मचई ने,
इना मांडवे आयो हे।
नानो बिरजू गुलाल उडावे
साला साली साते हे।
माय सासू होली गावे
जवई ने बखाने हे।
चार दन की आनी-जानी
आनंद मनव बाटी चूटी
'ललि' असी बोरई गई
भरी जमात में गावे हे।
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ललिता रावल, इन्दौर
फाग घणों पोमायो हे
कली कचनार कन्हेर चटकी,
फाग घणों पोमायो हे।
मउआ ढाक कांस फुल्या,
बसंत्या अगवानी में।
गाँव गली घर अंगणे
पवन्यो बौरायो हे।
आम्बु-जाम्बु मोर पाक्या
रात सुवाली सजई हे।
भोलू की थकान भागी,
रामी रंग पकावे हे।
गोकुल-बिरज धूम मचई ने,
इना मांडवे आयो हे।
नानो बिरजू गुलाल उडावे
साला साली साते हे।
माय सासू होली गावे
जवई ने बखाने हे।
चार दन की आनी-जानी
आनंद मनव बाटी चूटी
'ललि' असी बोरई गई
भरी जमात में गावे हे।
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मालवी गीत पहली बार पढ़ा पर मधुर लगा.
जवाब देंहटाएंललिता जी!
जवाब देंहटाएंसरस-लालित्यपूर्ण रचना के लिए साधुवाद.