हिन्दी-हास्य जगत को फ़िर से आज बहाना है आँसू।
सूनापन बढ़ गया हास्य में चला गया है कवि धाँसू ।।
ऊपरवाला दुनिया के गम देख हो गया क्या हैरां?
नीचेवालों को ले जाकर दुनिया को करता वीरां।।
शायद उस से माँग-माँगकर हमने उसे रुला डाला ।
अल्हड औ' आदित्य बुलाये उसने कर गड़बड़ झाला।।
इन लोगों से तुम्हीं बचाओ, इन्हें हँसाया-मुझे हँसाओ।
दुनियावालों इन्हें पढो हँस, इनसे सदा प्रेरणा पाओ।।
ज़हर ज़िन्दगी का पीकर भी जैसे ये थे रहे हँसाते।
नीलकंठ बन दर्द मौन पी, क्यों न आज तुम हँसी लुटाते?
भाई अल्हड बीकानेरी के निधन पर दिव्य नर्मदा परिवार शोक में सहभागी है-सं.
रचना बेहद अच्छी लगी . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंयह सच्ची श्रद्धांजलि है एक कवि को।
जवाब देंहटाएंheart touching and heartbreaking.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी,
जवाब देंहटाएंकविता से सुंदर श्रद्धांजलि
उन्हें और क्या हो सकती है......
आभार.....
श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंबीकानेरी जी को सच्ची श्रधांजलि बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसादर
praveen pathik
ALHAD BIKANERI KO HAMARI OR SE SHRADDHANJALI IS KAVITA KE MADHYAM SE SAHITYA SHILPI NE ALHAD BIKANERI KO YAD KAR EK ALAKH JAGAYI HAI
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआदरणीय अल्हड़ जी ने हरियाणवी फीचर फिल्म छोटी साली की कथा, पटकथा और संवाद भी लिखे थे और हास्य कविताओं में अल्हड़पन अपनी गंभीरता के साथ उन्हीं की कविताओं के जरिए आया। जिसने श्रोताओं को खूब हंसाया। उनके जाने से गंभीर हो रहे हैं हम। विनम्र श्रत्रासुमन समर्पित।
जवाब देंहटाएंहो रहा है कवि सम्मलेन ऊपर
जवाब देंहटाएंसुन नहीं सकते उसे भू पर
श्रृद्धांजलि
जवाब देंहटाएंHindi jagat ko fir se aaj bahana hai aansoon
जवाब देंहटाएंThat sounds.....
Real shriddhanjali.
Thanks Sanjeev.