मंगलवार, 19 मई 2009

काव्य-किरण:

हास्य हाइकु

मन्वंतर

अजब गेट
कोई न जाए पार
रे! कोलगेट।

एक ही सेंट
नहीं सकते सूंघ
है परसेंट।

कौन सी बला
मानी जाती है कला?
बजा तबला।

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