दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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बुधवार, 27 मार्च 2019

नवगीत तुम

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नवगीत तुम  * ताप धरा का बढ़ा चैत में या तुम रूठीं? लू-लपटों में बन अमराई राहत देतीं। कभी दर्प की उच्च इमारत तपतीं-दहतीं। ब...
सोमवार, 25 मार्च 2019

नवगीत तुम

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नवगीत: सरहद * तुम स्वीकार सकीं मुझको जब, सरहद पार गया मैं लेने। * उठा हुआ सर हद के पार चला आया तब अनजाने का हाथ थाम कर। मैं बहुतों...
बुधवार, 13 मार्च 2019

नवगीत तुम

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नवगीत: सरहद * तुम स्वीकार सकीं मुझको जब, सरहद पार गया मैं लेने। * उठा हुआ सर हद के पार चला आया तब अनजाने का हाथ थाम कर। मैं बहुतों के स...
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