दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

दोहा सलिला फागुनी दोहे संजीव 'सलिल'

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दोहा सलिला   फागुनी दोहे संजीव 'सलिल' * महुआ महका, मस्त हैं पनघट औ' चौपाल बरगद बब्बा...
8 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

सामयिक दोहे: -संजीव 'सलिल'

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झूठा है सारा जगत , माया कहते संत. सार नहीं इसमें तनिक, और नहीं कुछ तंत.. झूठ कहा मैंने जिसे, जग कहता है सत्य. और जिसे सच मानता, जग को लग...
1 टिप्पणी:
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