दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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बुधवार, 9 मई 2012

गीत: जितनी ऑंखें उतने सपने... --संजीव 'सलिल'

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दोहा गीत: जितनी ऑंखें उतने सपने... संजीव 'सलिल' * * जितनी ऑंखें उतने सपने... * मैंने पाये कर कमल, तुमने पाये हाथ. ...
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रविवार, 30 अक्टूबर 2011

एक कविता: कौन हूँ मैं?... संजीव 'सलिल'

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एक कविता: कौन हूँ मैं?... संजीव 'सलिल' * क्या बताऊँ, कौन हूँ मैं? नाद अनहद मौन हूँ मैं. दूरियों को नापता हूँ. दि...
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