दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रोटी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रोटी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

दोहा

›
आज का दोहा * अपनी अपनी रोटियाँ सकें नेता लोग।  मँहगाई से मर रही जनता इन्हें न सोग।। * 
सोमवार, 20 जुलाई 2009

नवगीत - एक गाँव में देखा मैंने

›
एक गाँव में देखा मैंने सुख को बैठे खटिया पर अधनंगा था, बच्‍चे नंगे, खेल रहे थे मिटिया पर। मैंने पूछा कैसे जीते वो बोला सुख हैं सारे बस कपड़े ...
5 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

योगदान देने वाला व्यक्ति

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava

:: संचालक मंडल ::

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava
Blogger द्वारा संचालित.