दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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गुरुवार, 11 जुलाई 2019

नवगीत धरती की छाती

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एक रचना धरती की छाती पै होरा रओ रे सूरज भून। * दरक रे मैदान-खेत सब मुरझा रए खलिहान। माँगे सीतल पेय भिखारी ले न रुपया दान। संझा ने अधरों पे ...
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