दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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मंगलवार, 19 मई 2009

काव्य-किरण: आचार्य संजीव 'सलिल'

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नव गीत संजीव 'सलिल' जीवन की जय बोल, धरा का दर्द तनिक सुन... तपता सूरज आँख दिखाता जगत जल रहा. पीर सौ गुनी अधिक हुई है नेह गल रहा. हिम...
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