दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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सोमवार, 18 मई 2009

-: काव्य किरण :-

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नव गीत आचार्य संजीव 'सलिल' टूटा नीड़, व्यथित है पाखी। मूक कबीरा कहे न साखी। संबंधों के अनुबंधों में सिसक रही है बेबस राखी। नहीं नेह ...
बुधवार, 6 मई 2009

नव गीत: आचार्य संजीव 'सलिल'

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मगरमच्छ सरपंच मछलियाँ घेरे में फंसे कबूतर आज बाज के फेरे में... सोनचिरैया विकल न कोयल कूक रही हिरनी नाहर देख न भागी, मूक रही जुड़े पाप ग्रह ...
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