दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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गुरुवार, 20 सितंबर 2012

दोहा-मुक्तिका: तरु को तनहा... संजीव 'सलिल'

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दोहा-मुक्तिका: तरु को तनहा कर गये, झर-झर झरते पात संजीव 'सलिल' * तरु को तनहा कर गये, झर-झर झरते पात. यह जीवन की जीत है, क्यों...
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