दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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रविवार, 18 नवंबर 2012

नवगीत: जितनी आँखें उतने सपने... संजीव 'सलिल'

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नवगीत: जितनी आँखें उतने सपने... संजीव 'सलिल' * जितनी आँखें उतने सपने... * मैंने पाए कर-कमल, तुमने पाए हाथ। मेरा सर ऊंचा रहे,...
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