दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

नवगीत: कागा हँसकर बोले काँव... --संजीव 'सलिल'

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नवगीत: कागा हँसकर बोले काँव... संजीव 'सलिल' * * चले श्वास-चौसर पर आसों का शकुनी नित दाँव. मौन रो रही कोयल कागा हँसकर बोले...
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