दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

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शुक्रवार, 10 मई 2013

hindi poem, geedh, acharya sanjiv verma 'salil'

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एक कविता: गीध  संजीव  * जब  स्वार्थ-साधन, लोभ-लालच, सत्ता और सुविधा तक  सीमित रह जाए  नाक की सीध,  तब  समझ लो आदमी  ...
2 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 27 अगस्त 2012

एक कविता: बिखरी सी मुस्कान... संजीव 'सलिल

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एक कविता: बिखरी सी मुस्कान. .. संजीव 'सलिल * श्री-प्रकाश अधमुंदे नयन से, झर-झर कर झरता था. भोर रश्मि का नव उजास आलोक धवल भरता...
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