दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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सोमवार, 20 अगस्त 2012

आज का विचार: शाम

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आज का विचार: शाम
रविवार, 30 अगस्त 2009

एक कविता: कीर्तिवर्धन

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खुदा ना बनाओ मेरे मालिक! मुझे इंसान बना रहने दो खुदा ना बनाओ बना कर खुदा मुझको अपने रहम ओ करम से महरूम ना कराओ। पडा रहने दो मुझको गुनाहों के...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

एक कुण्डली : आचार्य संजीव 'सलिल'

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भुला न पाता प्यार को, कभी कोई इंसान. पाकर-देकर प्यार सब जग बनता रस-खान जग बनता रस-खान, नेह-नर्मदा नाता. बन अपूर्ण से पूर्ण, नया संसार बसाता...
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