दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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मंगलवार, 15 जुलाई 2014

दोहा

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एक दोहाः संजीव * बसता रूप अरूप में, या अरूप में रूप  जो रह्स्य यह जानता, उसका मन हो भूप  * 
बुधवार, 5 अगस्त 2009

रक्षा बंधन के दोहे: आचार्य सन्जीव 'सलिल'

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रक्षा बंधन के दोहे: चित-पट दो पर एक है,दोनों का अस्तित्व. भाई-बहिन अद्वैत का, लिए द्वैत में तत्व.. *** दो तन पर मन एक हैं, सुख-दुःख भी हैं ए...
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