tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post8420999426123977783..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : नवगीत: मौन निहारो... संजीव 'सलिल'Divya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-12669872172099317192009-12-12T09:11:01.171+05:302009-12-12T09:11:01.171+05:30प्रकृति सदा मन रंजना, करती विमल विनोद.
'सलिल&...प्रकृति सदा मन रंजना, करती विमल विनोद. <br />'सलिल' निरख कर लिख सके, हो निर्मल आमोद..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-56286547217373386232009-12-12T09:10:46.495+05:302009-12-12T09:10:46.495+05:30सचमुच मौन कर देनेवाली कविता.... प्रकृति को इन आँखो...सचमुच मौन कर देनेवाली कविता.... प्रकृति को इन आँखों से कोई देख भी ले पर इस तरह इन शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना कितनों के बीएस की बात है?...ranjananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-55155252756399841032009-12-11T10:40:51.748+05:302009-12-11T10:40:51.748+05:30बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना.....बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-31733094274155616392009-12-07T00:11:59.290+05:302009-12-07T00:11:59.290+05:30जब-जब तुम समतल पर चलना
तनिक सम्हलना, अधिक फिसलना.
...जब-जब तुम समतल पर चलना<br />तनिक सम्हलना, अधिक फिसलना.<br />उषा सुनहली, शाम नशीली<br />शशि-रजनी को देख मचलना. <br />मन से तन का, तन से मन का <br />दरस करो आरती उअतारो.<br />रूप-राशी को<br />मौन निहारो.<br /><br />सुन्दर अभिव्यक्ति.शाहिद मिर्ज़ा 'शाहिद'noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-26791740219333161662009-12-05T23:35:14.840+05:302009-12-05T23:35:14.840+05:30जन विनोद कर सके जो, वह कवि-कविता धन्य.
'सलिल&#...जन विनोद कर सके जो, वह कवि-कविता धन्य.<br />'सलिल' सराहे जो उसे, पाठक गुणी-अनन्य..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-52911617062233729882009-12-05T23:33:39.783+05:302009-12-05T23:33:39.783+05:30सलिल जी!
कुछ कहने वाली बात नही आपकी कविता का फ़ैन...सलिल जी! <br />कुछ कहने वाली बात नही आपकी कविता का फ़ैन हो गया हूँ..<br />ये भी एक बेहतरीन रचना..जिसे बार बार गाया जाय..<br />बधाई हो..विनोद कुमार पांडेय :noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-7839337589846129342009-12-05T22:48:31.212+05:302009-12-05T22:48:31.212+05:30रूप राशि को मौन निहारने की गाथा दिल को भा गई,आपके...रूप राशि को मौन निहारने की गाथा दिल को भा गई,आपके गीत की हर पंक्ति हमें भा गई..<br /><br />बढ़िया रचना..बधाईविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com