tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post4930621096159106375..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : दो कवि - दो रंग. प्राण शर्मा और आचार्य संजीव 'सलिल' की रचनाएँDivya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-50872448618257654392009-08-18T21:53:35.851+05:302009-08-18T21:53:35.851+05:30nice two.nice two.tuhinanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-20565895862201289592009-08-13T22:56:48.001+05:302009-08-13T22:56:48.001+05:30interesting...both are equally good.interesting...both are equally good.Dr.Sadhana Vermanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-11714525242105962102009-08-10T23:32:51.857+05:302009-08-10T23:32:51.857+05:30der se hii lekin priya bhai pran jee tatha salil j...der se hii lekin priya bhai pran jee tatha salil jee ki rachna pad kar bahut achchha laga abhivaykti ke satar par adbhut hein man ko gehre chhuti hein<br />meri ore se badhai sweekaren <br />ashok andrey<br /><br />05 August 2009 12:37ashok andrey ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-19391693561740343912009-07-29T13:13:03.930+05:302009-07-29T13:13:03.930+05:30सुन्दर गीतिका है |
अवनीश तिवारीसुन्दर गीतिका है |<br /><br />अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-11365949604181742392009-07-28T09:04:05.297+05:302009-07-28T09:04:05.297+05:30आचार्य 'सलिल' जी और प्राण शर्मा जी का दोनो...आचार्य 'सलिल' जी और प्राण शर्मा जी का दोनों अविस्मर्णीय रचनाओं के लिए मैं आभारी हूँ. टिप्पणीकारों और अन्य पाठकों का हार्दिक धन्यवाद.<br /><br />26 July 2009 19:03महावीर ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-50551618911780669252009-07-28T09:03:31.614+05:302009-07-28T09:03:31.614+05:30Pran ji aur Salil ji ki rachanayen adbud hain. Don...Pran ji aur Salil ji ki rachanayen adbud hain. Dono rachanakaron ko Pranam.<br /><br />Chandel<br /><br />26 July 2009 02:23रूपसिंह चन्देल ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-78669700348073057412009-07-28T09:02:47.471+05:302009-07-28T09:02:47.471+05:30तितलियों ने तितलियों से तितलियों की बात की.
तितलि...तितलियों ने तितलियों से तितलियों की बात की. <br />तितलियों ने वाहवाही की 'सलिल' बरसात की. <br /><br />तितलियों का तितलियों को शुक्रिया सौ बार है. <br />तितलियों के सिवा कुदरत में नहीं कुछ सार है.<br /><br />हम बनें गर तितलियाँ तो दुनिया ये जन्नत बने.<br />द्वेष ईर्ष्या डाह न हो, भौंह कोई न तने.<br /><br />फूल हों,कलियाँ हों, रस हो, शहद से ज़ज्बात हों. <br />स्नेह-सलिला में नहायें, हर कहीं नगमात हों.<br /><br />24 July 2009 06:01आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-82270566519282537742009-07-28T09:00:43.688+05:302009-07-28T09:00:43.688+05:30तितलियाँ तो उड़ते हुए बहुरंगी फूल ही हैं,जो प्रकृत...तितलियाँ तो उड़ते हुए बहुरंगी फूल ही हैं,जो प्रकृति की अनुपन मनोहारी चित्रकारी है...<br /><br />आप दोनों आचार्यवरों ने अपने कलम से इन्हें महिमामंडित कर एक तरह से उस परम चित्रकार की चित्रकारी का ही महिमामंडन किया है.......<br /><br />दोनों ही रचनाएँ उन मोहक सुन्दर तितलियों सी मन को मोहने वाली हैं....<br /><br />पढने का सुअवसर देने के लिए हार्दिक धन्यवाद..<br /><br />23 July 2009 10:03रंजना ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-86549182795744280302009-07-28T09:00:03.533+05:302009-07-28T09:00:03.533+05:30दो-दो उस्ताद एक साथ..अहा!
तित्लियों के इतने हसीन ...दो-दो उस्ताद एक साथ..अहा!<br /><br />तित्लियों के इतने हसीन रंग एक साथ एक जगह पहले कही नहीं दिखे होंगे...<br /><br />हम शुक्रगुजार हैं महावीर जी आपके!<br /><br />22 July 2009 16:42गौतम राजरिशी ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-20594451992233432822009-07-28T08:59:11.881+05:302009-07-28T08:59:11.881+05:30Aadarniy Mahaveer ji,
Namaskar !
PRAN sahab aur ...Aadarniy Mahaveer ji,<br />Namaskar ! <br /><br />PRAN sahab aur Achary Sanjeev Saleel jee ki <br /><br />Ek hee vishay - TITLIYON - per likhi dono<br /><br />RACHNA itni sunder hain ki , padhker , anand <br /><br />aa gaya ! <br /><br />Bahut bahut Shukriya, ees umda aur lajawab prastuti ka ! <br /><br />Aap , nit naveen prayog karte rehte hain -- <br /><br />Bahut badhiya laga ye bhee ....<br /><br />Shubh kaamna va sadar sneh sahit ,<br /><br />vineet,<br /><br />- Lavanya<br /><br />22 July 2009 00:19लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-21068394691404140782009-07-28T08:58:33.627+05:302009-07-28T08:58:33.627+05:30सलिल जी की गीतिका ने तितलियों के माध्यम से बहुत ही...सलिल जी की गीतिका ने तितलियों के माध्यम से बहुत ही संवेदनशील चित्रण किया है. सलिल जी का कौशल तो भीतर से समृद्ध करता है. संजीव भाई सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई!<br /><br />21 July 2009 18:48Dr. Sudha Om Dhingra ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-67426159447377393092009-07-28T08:57:57.022+05:302009-07-28T08:57:57.022+05:30भाई साहब,
हर नई ग़ज़ल आप का नया रूप पेश करती है.
...भाई साहब,<br />हर नई ग़ज़ल आप का नया रूप पेश करती है. <br />इस में तो बंधुवर भाषा का सौंदर्य, भावनाओं की <br />चंचलता और उनकी खूबसूरत अभिव्यक्ति ने कमाल<br />कर दिया. अगर कहूँ कि फिर कुछ सीखने को मिला तो गलत नहीं होगा. ऐसी ही समृद्ध ग़ज़लें आप लिखते रहें.महावीर जी आप की आभारी हूँ इतनी बढ़िया ग़ज़ल पढ़वाने के लिए.<br /><br />21 July 2009 18:38Dr. Sudha Om Dhingra ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-49263103652587379382009-07-28T08:57:11.244+05:302009-07-28T08:57:11.244+05:30प्राण शर्मा जी और आचार्य 'सलिल' जी जैसे दो...प्राण शर्मा जी और आचार्य 'सलिल' जी जैसे दो दिग्गज गुरुओं को एक साथ इस ब्लॉग पर पोस्ट करने में मुझे गर्व है और हार्दिक प्रसन्नता भी.<br /><br />एक साथ ही ऐसे महानुभावों की रचनाएँ देने में मुझे जो सुख और आनंद मिला है, शब्दों में कहना कठिन है. <br /><br />दोनों रचनाएँ अत्यंत सुन्दर हैं. <br /><br />इसी प्रकार आचार्य जी और शर्मा जी का आशीर्वाद बना रहे. <br />सधन्यवाद<br />महावीर<br /><br />21 July 2009 17:36महावीर ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-87367405572465454682009-07-28T08:56:06.305+05:302009-07-28T08:56:06.305+05:30Wah salil ji
'सलिल' भरोसा कर ले इन पर
ह...Wah salil ji<br /><br />'सलिल' भरोसा कर ले इन पर <br /><br />हुईं न आदम-जात तितलियाँ<br /><br />kamaal ka sher kaha hai<br /><br />21 July 2009 16:31श्रद्धा जैन ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-56646500645747700822009-07-28T08:55:21.473+05:302009-07-28T08:55:21.473+05:30होते ही प्रातःकाल आजाती हैं तितलियां
मधुबन में खूब...होते ही प्रातःकाल आजाती हैं तितलियां<br />मधुबन में खूब धूम मचाती हैं तितलियां<br /><br /><br />फूलों से खेलती हैं कभी पत्तियों के संग<br />कैसा अनोखा खेल दिखाती है तितलियां <br /><br /><br />बच्चे, जवान, बूढ़े नहीं थकते देख कर<br />किस सादगी से सब को लुभाती हैं तितलियां<br /><br /><br />सुन्दरता की ये देवियां परियों से कम नहीं<br />मधुबन में स्वर्ग लोक रचाती हैं तितलियां <br /><br /><br />उड़ती हैं किस कमाल से फूलों के आर पार<br />दीवाना हर किसी को बनाती हैं तितलियां<br /><br /><br />वैसा कहां है जादू परिंदों का राम जी<br />हर ओर जैसा जादू जगाती है तितलियां<br /><br /><br />इनके ही दम से 'प्राण' हैं फूलों की रौनकें<br />फूलों को चार चांद लगाती हैं तितलियाँ<br /><br /><br />Wah bahut sunder gazal hai Guru ji<br /><br />21 July 2009 16:30श्रद्धा जैन ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-14127312939334473552009-07-28T08:54:35.212+05:302009-07-28T08:54:35.212+05:30आदरणीय प्राण जी की कविता तित्लियो के माध्यम से रुम...आदरणीय प्राण जी की कविता तित्लियो के माध्यम से रुमानियत और सौन्दर्य की बहुत ही मनभावन कहानी है. पूरी कविता बहुत अच्छी है खासकर ये - <br />"सुन्दरता की ये देवियां परियों से कम नहीं<br />मधुबन में स्वर्ग लोक रचाती हैं तितलियां"<br /><br />श्री सलिल जी की कविता मे़ बहुत हद तक यथार्थवाद है और ये भी एक बहुत सुन्दर कविता है.<br /><br />21 July 2009 13:39HARI SHARMA ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-52809031015965611972009-07-28T08:54:00.339+05:302009-07-28T08:54:00.339+05:30आदरणीय महावीर जी , सबसे पहले तो देरी से आने के लिए...आदरणीय महावीर जी , सबसे पहले तो देरी से आने के लिए माफ़ी चाहूँगा ....<br /><br />आदरणीय प्राण जी और आदरणीय सलिल जी की ये शानदार प्रस्तुति किसी भी तारीफ़ से बढ़कर है <br /><br />प्राण साहेब की ग़ज़ल पढ़ते पढ़ते तो मैं वाकई में किसी मधुबन में जा पहुंचा <br /><br />सलिल साहेब की बात भी निराली है ....<br /><br />तितलियों पर दो महान लेखको की रचनाये एक साथ पढना अपने आप में बहुत सुखद अनुभव है. मुझे तो इतना आनंद प्राप्त हुआ की क्या कहूँ , सारी की सारी थकान उतर गयी ...<br /><br />महावीर जी , आपको बहुत धन्यवाद् इस लाज़वाब प्रस्तुती के लिए <br /><br />मैं प्राण जी और सलिल जी को प्रणाम करता हूँ <br /><br />आभार <br /><br />विजय<br /><br />21 July 2009 12:54Vijay Kumar Sappatti ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-28759079922226307162009-07-28T08:53:22.142+05:302009-07-28T08:53:22.142+05:30YUN TO ACHARYA " SALIL" JEE KEE HAR
PANK...YUN TO ACHARYA " SALIL" JEE KEE HAR<br />PANKTI KHOOBSOORAT HAI LEKIN IN<br />CHAAR PANKTIYON KEE BAANGEE KE KYA<br />KAHIYE--<br />HIL-MIL RAHTEE,NAHIN JAANTEE<br />KYA HAIN SHAH AU MAAT TITLIYAN<br />----------<br />"SALIL" BHROSA KAR LE IN PAR<br />HUEE N AADAM-ZAAT TITLIYAN<br /><br />21 July 2009 09:55PRAN SHARMA ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-14692383638368347322009-07-28T08:52:38.684+05:302009-07-28T08:52:38.684+05:30इनके ही दम से 'प्राण' हैं फूलों की रौनकें
...इनके ही दम से 'प्राण' हैं फूलों की रौनकें<br />फूलों को चार चांद लगाती हैं तितलियाँ<br />ये शेर समझने वाले के लिये है कि उसमें कितना गहन भाव छुपा है । प्राण जी जैसे किसी उस्ताद के ही बस का है ऐसे शेर लिखना । कई मायने और कई सारे अर्थ छुपाए है ये शेर । आदरणीय महावीर जी का आभार उस्ताद शायर की एक और बेहतरीन ग़ज़ल से परिचय कराने के लिये ।<br /><br />21 July 2009 08:04पंकज सुबीर ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-42036847922029823222009-07-28T08:51:42.788+05:302009-07-28T08:51:42.788+05:30वाह दोनों ही सम्राट हैं आज के दौर के............ त...वाह दोनों ही सम्राट हैं आज के दौर के............ तितलियों पर इतनी गहरी सोच और उस सोच से निकली लाजवाब रचनाएं......... शुक्रिया आपका<br /><br />21 July 2009 07:06दिगम्बर नासवा ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-45421218773491259092009-07-28T08:51:09.193+05:302009-07-28T08:51:09.193+05:30dono hi umda rachnaakaar hain..
bahut achcha laga....dono hi umda rachnaakaar hain..<br />bahut achcha laga..<br />kulwant singh<br /><br />21 July 2009 06:00kavi kulwant ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-39899243577388728582009-07-28T08:50:22.248+05:302009-07-28T08:50:22.248+05:30गजल के उस्ताद आदरणीय प्राण शर्मा जी और आचार्य संजी...गजल के उस्ताद आदरणीय प्राण शर्मा जी और आचार्य संजीव सलिल जी की तितलियाँ पर गजलें अत्यंत मनभावन और हृदयस्पर्शी लगीं।<br />आपको इस विधा में माहिर फ़न हासिल है।<br /><br />21 July 2009 05:48<br /><br />Tuesday, July 28, 2009 8:49:00 AMसुशील कुमार ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-27469888293220551242009-07-28T08:48:57.775+05:302009-07-28T08:48:57.775+05:30प्रण जी के शेर दीवानगी के आसार और बढ़ रहे हैं
उड़...प्रण जी के शेर दीवानगी के आसार और बढ़ रहे हैं<br /><br />उड़ती हैं किस कमाल से फूलों के आर पार<br />दीवाना हर किसी को बनाती हैं तितलियां<br />सोच की उड़ान और ताज़गी..अद्भुत!! <br /><br />और<br />नाच रहीं हैं ये बिटियों सी<br />शोख़-जवां जज़्बात तितलियाँ..<br />रिशतों में जकड,ने का सफल प्रयास इस शेर में आचार्य सलिल जि ने बखूबी किया है. बधाई हो<br />सादर<br />देवी नागरानी<br /><br />20 July 2009 22:12Devi nangrani ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-59859430604520962682009-07-28T08:48:04.374+05:302009-07-28T08:48:04.374+05:30...तितलियाँ-ही-तितलियाँ...
वाह-वाह ... बहुत खूब ......तितलियाँ-ही-तितलियाँ... <br /><br />वाह-वाह ... बहुत खूब !!!<br /><br />20 July 2009 20:55श्याम कोरी 'उदय' ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-4016126665112453762009-07-28T08:47:27.785+05:302009-07-28T08:47:27.785+05:30इनके ही दम से 'प्राण' हैं फूलों की रौनकें
...इनके ही दम से 'प्राण' हैं फूलों की रौनकें<br />फूलों को चार चांद लगाती हैं तितलियाँ<br />प्राण साहिब की रचनायें तो हमेशा ही खूब सूरत और दिल को छू लेने वली होती हैं आज कई दिन बाद पढा है इन्हें इन से गुज़रिश है कि जल्दी गज़ल ले कर आयें <br />और सलिल जी ने तो निशब्द कर दिया<br />सलिल भरोसा कर ले इन पर<br />हुई ना आदमजात तितलियाँ <br />बहुत सुन्दर रचनाओं के लिये आपका धन्यवाद्<br /><br />20 July 2009 18:12Nirmla Kapila ...noreply@blogger.com