tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post3484484519970322239..comments2024-03-29T13:30:18.890+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : दोहा गीतिका 'सलिल'Divya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-46311914303827876742009-12-22T22:23:02.840+05:302009-12-22T22:23:02.840+05:30दोहे पढ़ कर आपके, हुआ मुझे अभिमान,
सुन्दर भावो से स...दोहे पढ़ कर आपके, हुआ मुझे अभिमान,<br />सुन्दर भावो से सजा, सलिल-सृजन-उद्यान. <br /><br />छंद-साधना आपकी, प्रेरक है परिदृश्य,<br />उज्जवल लगता है मुझे, साहित्य का भविष्य. <br /><br />बधाई......गिरीश पंकज ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-16587466893332232462009-12-22T22:20:25.196+05:302009-12-22T22:20:25.196+05:30बहरे मिलकर सुन रहे गूँगों की तक़रीर।
बिलख रही जम्...बहरे मिलकर सुन रहे गूँगों की तक़रीर।<br /><br />बिलख रही जम्हूरियत, सिसक रही है पीर।<br />.........<br /><br />फेंक द्रौपदी खुद रही फाड़-फाड़ निज चीर।<br /><br />भीष्म द्रोण कूर कृष्ण संग, घूरें पांडव वीर।<br /><br />Kya baat kahi hai aapne.... nirvastra yatharth ko udbhedit karti sundar rachna...रंजना ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-39878740230022277792009-12-22T22:19:15.144+05:302009-12-22T22:19:15.144+05:30बहरे मिलकर सुन रहे गूँगों की तक़रीर।
बिलख रही जम्...बहरे मिलकर सुन रहे गूँगों की तक़रीर।<br /> बिलख रही जम्हूरियत, सिसक रही है पीर।<br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।मनोज कुमार ...noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-680402393866246562009-12-22T22:14:15.531+05:302009-12-22T22:14:15.531+05:30बहुत सुन्दर.
देशभक्ति से ओतप्रोत रचना.
शब्द-चयन ...बहुत सुन्दर. <br />देशभक्ति से ओतप्रोत रचना. <br />शब्द-चयन अत्युत्तम, भाष नियंत्रित. <br />भाव-प्रवाह निर्बाध. प्रेरणा दायी, <br />बहुत-बहुत बधाई..रचना दीक्षितnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-88885976170836123452009-12-22T22:06:43.256+05:302009-12-22T22:06:43.256+05:30बहुत बढ़िया दोहे हैं...बधाई स्वीकारें।
हाय! सियासत...बहुत बढ़िया दोहे हैं...बधाई स्वीकारें।<br /><br />हाय! सियासत रह गयी, सिर्फ स्वार्थ-तज़्वीर।<br />खिदमत भूली, कर रही बातों की तब्ज़ीर।<br /><br />२२ दिसम्बर २००९ १२:४६ AMपरमजीत बाली …noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-28735246524252490842009-12-22T20:33:20.032+05:302009-12-22T20:33:20.032+05:30नेह निर्मला का मिले, तो दिल को हो धीर.
भला सलिल का...नेह निर्मला का मिले, तो दिल को हो धीर.<br />भला सलिल का क्या करे, बेचारी शमशीर..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-70947911152388541562009-12-22T20:30:08.102+05:302009-12-22T20:30:08.102+05:30ने लिखा:
> अपके शब्दों मे वो ताकत है जो किसी भ...ने लिखा:<br /><br />> अपके शब्दों मे वो ताकत है जो किसी भी शमशीर को झुकाने की ताकत रखती है. <br />> बहुत सुन्दर रचना बधाई।निर्मला कपिलाnoreply@blogger.com